यह मन ही तो है, जो नन्हे बीजों को उगते, फूलों को खिलते, तितलियों को उड़ते, नदियों को बहते, झरनों को झरते , सागरों को गरजते, बारिश को बरसते, बादलों को उमड़ते और सितारों को चमकते हुए देखने के लिए मचलता रहता है. मन न हुआ धौली नदी हो गया.(Katha Kaho Yaya... Read more