पिता द्वारा सुनाये गये किस्से, कहानियां ताजीवन पिता से ही अपने होते हैं यह अपनापन मुझे गरतांग गली तक पहुंचते हुए साहसिक, रोमांचक पैदल यात्रा करते हुए महसूस हुआ. मेरी अचेतन स्मृतियों में गरतांग, नेलंग, जादुंग जैसे शब्द कहीं चिर-परिचित से जमे हुए महसू... Read more