लॉकडाउन के चलते जब सब कुछ बंद है तो ऐसे में कई किस्से खुल रहे हैं. हर वो दौर चर्चाओं में आ रहा है जिसका असर आज के ठप पड़े बाजारों से है. किस्सों की पोटली जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो है शराब. जी हाँ तमाम आपदाओं के बाद भी मय हमेशा […] Read more
घर में उपलब्ध मामूली संसाधनों से भी अच्छा संगीत तैयार किया जा सकता है, बशर्ते कुछ नया आजमाने की जिद हो. हल्द्वानी के संगीत शिक्षक करन जोशी उत्तराखण्ड के संगीत को लेकर पिछले कुछ सालों से नए प्रयोग करते रहे हैं. लॉकडाउन ने उनकी रचनात्मकता के सफर को रोक... Read more
बैंक का नाम जेहन में आते ही पहले रूपये, फिर एटीम दिमाग में आ जाता है. उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में एक नया बैंक खुला है. वो भी कोरोना (कोविट-19) के इस दौर में. श्री लक्ष्मी भंडार ‘हुक्का क्लब’ से संचालित हो रहे इस अनोखे बैंक में भूख से न... Read more
जो भागी जियाला ईजू नौ रितु सुण ल वे गयो रे मनखा ईजु काँ रितु सुणौ ल वे जब ये रचना रची गई होगी तब रचनाकार ने बहुत आगे की दुनिया देख ली होगी. संभव है आज की दुनिया भी. चैती के बोल जब कानों में घुलते हैं तो ये हिया में मिठी सी एक […] Read more
लॉकडाउन के समय में परेशानियों से जूझ रहे लोग आपसी सहयोग से जिंदगी को थोड़ा आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जब सामान्य जनजीवन ठप है और कई अनसुलझे सवाल, तो अपना मनोबल बनाये रखने के लिए रचनात्मक काम करते रहने वाले कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं. (Kumaoni S... Read more
भयो बिरज झकझोर कुमूँ में, लोक जीवन के अनुभवी चितेरे व लोकथात के वरिष्ठ जानकार डॉ. प्रयाग जोशी विरचित कुमूँ की 205 होलियों का अद्बभुत संग्रह है. कुमाऊं में आज भी ‘बैठि ‘, ‘ठाडि ‘, ‘बंजारा ‘के साथ महिला होली की ध... Read more
सुबह जागे तो मौसम ठंडा और खुशनुमा था. चाय पीने के बाद कुछ देर आंगन में धूप के इंतजार में चहल-कदमी करते रहे. धीरे-धीरे धूप ने पूरे गांव में अपनी चादर फैला दी तो महेशदा ने एक थाली पकड़ उसे हुड़के की तरह थाप दे गिर्दा के बोलों को लय देनी शुरू की और हम [... Read more
जब विचारों का ज्वार धधक रहा हो, मन में सवाल उमड़-घुमड़ रहे हों, बेचैन करने वाली तमाम तस्वीर हमारे सामने परिलक्षित होने लगी हो तो आम जन के सवालों पर सत्ता का टकराव होना स्वाभाविक ही है. यह टकराव लोकतांत्रिक देश में धरना-प्रदर्शन व उग्र आंदोलन के रूप म... Read more
“कहाँ हो बंकिम, कहाँ हो रवीन्द्र! आओ, उत्तराखंड का राज्यगीत लिखो ये वाक्य उत्तराखंड के एक प्रगतिशील समझे जाने वाले पाक्षिक अख़बार में छपी एक न्यूज का शीर्षक है. सामान्यतः इस शीर्षक में छिपे व्यंग्यात्मक टोन को पकड़ पाना आसान नहीं है. किसी को भी लग सक... Read more
कुमाऊं अंचल में रामलीला के मंचन की परंपरा का इतिहास लगभग 160 वर्षों से भी अधिक पुराना है. यहाँ की रामलीला मुख्यतः रामचरित मानस पर आधारित है जिसे गीत एवं नाट्य शैली में प्रस्तुत किया जाता है. कई ग्रामीण अंचलों में रामलीला का मंचन खेतों में फसल कट जाने... Read more