अल सुभह गांव के चौराहे वाले चबूतरे पर ननकू नाई उकड़ूं बैठकर अपने औजारों की सन्दूकची खोजने ही जा रहा था कि मिट्ठू आन पहुंचा.(Story by Bhagwati Prsaad Joshi) – राम-राम ननकू भाई – राम राम भाई मिट्ठू, बोल कोई काम? – बाल बनवाने हैं मूंड... Read more
पहाड़ में आण-काथ-लोक गाथाओं का अक्षय भंडार हुआ जिनके असंख्य किस्से आमा-बुबू के मुँह से नानतिनों तक पहुँच सुनहरी यादों को रचा-बसा देने वाले हुए. उस पर शारीरिक चेष्टाओं के द्वारा प्रकट भाव के विशिष्ट नृत्य जिनकी स्मृति से बदन में कम्प लहराने लगे, तभी इ... Read more
बैंगनी, भूरे और नीलम पहाड़ियों के बीच रूपा नदी ने एक सुरम्य घाटी बना दी थी. हरे-भरेधान के खेतों के मध्य एक छोटा सा सुंदर गांव, नाम था देवी सैंण. आधुनिकता तथा कृत्रिम वातावरण से दूर लगता. कलयुग का अर्थ पिचाश वहां अभी नहीं पहुंचा था. सर्वत्र सतयुग का र... Read more
पिथौरागढ़ में वर्ष भर फुटबॉल खेली जाती थी. लेकिन दूर्नामेंट का आयोजन देवसिंह मैदान में ही होता और खेल का सीजन मध्य जुलाई से सितम्बर अंत तक रहता. देवसिंह मालदार ट्रॉफी, जनरल करियप्पा सील्ड, महर कप आदि मुख्य रनिंग कप थे और इन चल वैजयंतियों में हर वर्ष... Read more
पहली बार केदारनाथ गया तो वहां के हाल देख पर्यावणविद सुंदरलाल बहुगुणाजी का कहा याद आया कि ग्लेशियर धीरे-धीरे मरुस्थल में बदल रहे हैं. नए उत्तराखण्ड को प्रकृति और पर्यावरण की कोई परवाह नहीं. न ही आपदा प्रबंधन की कोई चिंता किसी को है. सुंदरलाल बहुगुणाजी... Read more
पिछली कड़ी यहां पढ़ें: छिपलाकोट अन्तर्यात्रा: सारा जमाना ले के साथ चले पिथौरागढ़ महाविद्यालय से शाम चार बजे के आस-पास बाहर निकलते ही मिल गये डॉ. मदन चंद्र भट्ट. इतिहास के विभागाध्यक्ष. अब मेरे पड़ोसी भी. बाल किशन पंडित जी के बराबर ही उनका दुमंजिला मक... Read more
चमोली जिले के हेलंग से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है उत्तराखंड के पंचकेदार में पाँचवाँ केदार- कल्पेश्वर. उर्गम घाटी में स्थित कल्पेश्वर मंदिर समुद्र तल से लगभग 2134 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है तथा पंचकेदार में से एक मात्र है जो श्रद्धालुओं के लि... Read more
पिछली कड़ी यहां पढ़ें: छिपलाकोट अन्तर्यात्रा: मुड़ मुड़ के न देख “ऊपर गाड़ी में सामान किसका है, रस्सी से बंधा”? बिल्कुल पैक हो गई रोडवेज की सुबह सात बजे नैनीताल से पिथौरागढ़ चलने वाली बस में खड़ी सवारियों के बीच अपनी जगह बनाते आवाज गूंजी... Read more
जिस बोर्ड परीक्षा का हव्वा बना कर, सामान्यतया बच्चों को हाईस्कूल में डराया जाता है वो हमारे हिस्से आठवीं में ही आ गयी थी. कई सालों बाद फिर से आठवीं की बोर्ड परीक्षा करवाये जाने का निर्णय हुआ था. यूपी का जमाना था पर बोर्ड से मतलब यूपी बोर्ड नहीं था. ज... Read more
चारों युगों में बद्रीनाथ धाम चार अलग-अलग नामों से जाना गया है. सतयुग में बद्रीनाथ धाम का नाम मुक्तिप्रद क्षेत्र, त्रेता युग में योगसिद्धि प्रद क्षेत्र, द्वापर युग में विशाला नाम से जाना जाने वाला यह पवित्र क्षेत्र कलयुग में बद्रीकाश्रम कहलाया. बद्रीक... Read more