(पिछली क़िस्त – दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ – 3) मैं दूकानों से थोड़ा आगे निकला और नीचे जंगल की ढलान की ओर देखा. वह प्लास्टिक के कचरे से अटा पड़ा था. दूकानों के आगे साफ सड़क और उनके पिछवाड़े इतनी गंदगी! पाॅलीथीन की थैलियां, पैकेट, प्लास्टिक की बोतलें, ड... Read more