हर ऋतु में अपने गीत हैं. खट्ट से आस पास से कई अलंकार समेट फूट पड़ते हैं. मेले ठेले में, पर्व में, कौतिक में, संक्रांती में, कर्मकांड में, ब्रत में, समारोह में, अनुष्ठानों में, त्योहारों में. कभी कहावत बन सुनाई देते हैं कभी गाथा में गूंजते,... Read more