ख़तो-किताबत -शंभू राणा क़ासिद के आते-आते ख़त एक और लिख रखूं, मैं जानता हूँ, जो वो लिखेंगे जवाब में ख़तो-किताबत के प्रति ऐसी बेताबी अब देखने में नहीं आती. ज्यादा वक्त नहीं गुज़रा जब ख़तो-किताबत आम थी. पत्र भेजे जाते थे,उनके जवाब आते थे. कुछों के जवाब फौरन... Read more