इतने बड़े हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार : तेरहवीं क़िस्त 1966 में नैनीताल से इलाहाबाद के लिए रवाना हुआ तो मैं एक तरह से हवा में यात्रा कर रहा था. क्यों यात्रा कर रहा हूँ, यह तो मालूम था, मगर कहाँ जा रहा हूँ, उसकी योजना का कोई खाका दिमाग में नहीं था. नैन... Read more