बात उन दिनों की है, जब मेरी नालायकी और कुसंग से मेरा परिवार आजिज आ चुका था. मां की नसीहत कानों से टकरा कर बैकफायर कर जाती. पिताजी के हस्त प्रहारों की धार कुंद हो गई थी. कई लाठी, डंडे, सोंटी मेरे बदन से टकरा कर स्वयं ही कालगति को प्राप्त हो चुके थे. थ... Read more