अपनी जिंदगी के किसी पुराने टुकड़े को एकदम जीवंत रूप में देखना कितना रोमांचकारी होता है, इसका अहसास मुझे कुछ ही देर पहले तब हुआ जब मुझे पुराने किताबों के ढेर में ‘नई कहानियाँ’ का जनवरी, 1969 अंक मिला. (Batrohi Remembers Premchand and Amrit Rai) म... Read more
मेरे पास अनेक संदेश आ रहे हैं कि क्या महादेवी वर्मा सृजन पीठ बंद हो गयी है? उसे किसने बंद किया और क्यों किया? क्या यह एक सरकारी संस्था थी? क्या इसका कोई स्वायत्त ढांचा था? मेरा इस संस्था के साथ क्या संबंध है? अधिकांश लोग इसे मेरी संस्था के रूप में जा... Read more
ट्रांजिस्टर लटकाए हुए रिमोट खोजने की जद्दोजहद. अबोध सवाल. जिज्ञासा भरे सवाल. अजीबोगरीब हरकतें. जवाब देने वालों का उससे पूछना, “पीके आया है क्या?” बारंबार यही सवाल पूछे जाने पर वह इसी नामकरण को स्वीकार कर लेता है, पीके. अपने मातृग्रह वापस... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 41 पिछली कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 40 कई बार सोचता था कि समय आखिर कितनी परीक्षा लेगा? लखनऊ में ही तनाव से इतना तंग आ चुका था कि इस्तीफा लिख कर सदा जेब में रखता था, यह सोच कर कि अगर हद से गुजर जाएगी तो नौकरी से […] Read more
ललछोंह लकड़ी की इस टीवी ट्रॉली और किताबों की इन दो छुटकी रैकों को जब भी देखता हूं तो राजपुरा, हल्द्वानी में बयालीस वर्ष पहले ठेकेदार राम सिंह मेवाड़ी जी से खरीदा वह पहाड़ी तुन का मोटा, सूखा तना याद आ जाता है जिसे आरा मशीन पर चिरवा कर मैं उसके तख्ते पंतन... Read more
कतिपय कारणों से हमारे प्रिय लेखक देवेन मेवाड़ी की सीरीज कहो देबी, कथा कहो इस सप्ताह प्रकाशित नहीं की जा सकी है. सीरीज का अगला हिस्सा अगले सप्ताह नियत दिन प्रकाशित किया जायेगा. इस सप्ताह देवेन मेवाड़ी का भेजा यह आलेख यादों के गलियारे से पढ़िये. – स... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 34 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 33 वह नई शाखाओं के खुलने और ऋण मेलों का दौर था. गांव-गांव और घर-घर तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने की चर्चाएं की जाती थीं. उस माहौल में लखनऊ पहुंचा तो दफ्तर में सरगोशियां सुनाई देने लगीं कि लो, अब पब... Read more
इतने विशाल हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार : चौदहवीं क़िस्त शैलेश मटियानी, मनोहरश्याम जोशी, शिवानी, राधकृष्ण कुकरेती, गोपाल उपाध्याय, स्वरूप ढौंडियाल और विद्यासागर नौटियाल के बाद उत्तराखंड से एक और दिग्गज कथाकार हिमांशु जोशी भी नहीं रहे. ये सभी लोग लगभग... Read more
पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में लंबे समय तक संस्कृत के प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष रहे डीडी शर्मा अवकाश प्राप्त करने के बाद हल्द्वानी नवाबी रोड में निवास कर रहे थे. वे उत्तरी भारत में अपनी श्रेणी के प्राच्यविद और भाषा शास्त्री माने जाते हैं. कई भारतीय... Read more
1962 में डॉक्टर हेमचंद्र जोशी जाड़ों में नैनीताल से हल्द्वानी रहने आया करते थे और कालाढूंगी रोड स्थित पीतांबर पंत के मकान में टिका करते थे. वे बहुत वृद्ध हो गए थे और उनकी आंखें बहुत कमजोर हो गई थी. उन दिनों वे हिंदी के साथ साथ कुमाऊनी भाषा का एक ऐसा... Read more