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3 Comments

  1. Anonymous

    “दो के बराबर एक चाँद की जुन्याली क्यों होती है पहाड़ों में” सुंदर भोले जन की सुंदर भोली कहानी।

  2. Taruna Jain

    वाह गीता दी, पढ़ा और मन के भीतर कुछ सिरज गया। आप ऐसे ही लिखती रहें।

  3. विरेन्‍द्र सिंह बिष्ट

    नानछिना भौत सुनी थी जुन्‍याली रात, आज समझ मे आई।

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