किसी भी एहसास पर कला का प्रदर्शन बेहद कठिन काम है फिर अगर एहसास प्यार हो तो काम और कठिन हो जाता है. बालीवुड में प्यार को लेकर हर हफ्ते एक फिल्म बनती है लेकिन आप उंगलियों में उन फिल्मों को गिन सकते हैं जिसमें दर्शक ने प्यार को महसूस किया हो. सितम्बर के महिने में नेटफ्लिक्स पर ऐसी ही एक फिल्म आई जिसका नाम है वन्स अगेन ( Once Again ).
फिल्म की कहानी एक सफल अभिनेता अमर कुमार और एक छोटे से होटल की मालकिन तारा शेट्टी के प्यार की है. दोनों की शादी हो चुकी है और दोनों के बड़े बच्चे हैं. फिल्म की ख़ास बात यह है कि फिल्म में इस बात पर कम जोर है कि लोग क्या सोचते हैं या क्या बोलते हैं. फिल्म इस पर ज्यादा केन्द्रित है कि वो दोनों इसे कैसे अपने रिश्ते को लेते हैं. फिल्म अभिनेता अमर कुमार का रोल नीरज काबी ने निभाया है, वहीं होटल की मालकिन तारा शेट्टी का रोल शैफाली शाह ने. फिल्म के कई हिस्सों में शैफाली शाह ने अपनी अदाकारी से झकझोर कर रख दिया है.
कंवल सेठ द्वारा निर्देशित इस फिल्म में मुम्बई शहर का एक अहम किरदार है. एक बोलती मुम्बई, जिसके डायलाग के हिस्से कभी बाजार की आवाज है तो कभी तेल में फ्राई होती मच्छी की आवाज. जिन आवाजों को कोलाहल समझ कर छोड़ दिया जाता हैं उसको कंवल ने अपनी फिल्म में बाखूबी पिरोया है. हिन्दी सिनेमा में शायद ही इससे पहले कभी आवाज का इतना बेहतर प्रयोग हुआ हो.
अगर आपने लंच बाक्स फिल्म देखी है तो कई बार आपको लगेगा की शायद यह लंच बाक्स का सिक्वल हो सकती है या लंच बाक्स फिल्म की कहानी आगे ऐसे भी बढ़ सकती है. लंचबाक्स की तरह इस फिल्म में भी डायलॉग कम हैं, भाव ज्यादा. फिल्म का संगीत भी फिल्म की तरह एक ख़ास दर्शक वर्ग के लिये है.
फिल्म के एक हिस्से में अमर कुमार की बेटी अपने पिता से पूछती कि क्या वह सच में तारा के बारे में सीरियस है और अमर कुमार बिना कुछ बोले ही उसका उत्तर दे देते हैं.
कुल मिलाकर कंवल सेठ की वन्स अगेन फिल्म प्यार से भरी एक फिल्म है जिसमें कंवल ने बेहद संजीदगी से दिखाया है कि क्या होता है जब दो प्यार करने वाले सच में मिलते हैं. फिल्म देखने के लिये आपको उतने ही धैर्य की जरुरत पड़ेगी जितनी असल जिन्दगी में प्यार को निभाने के लिये होती है.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
मौत हमारे आस-पास मंडरा रही थी. वह किसी को भी दबोच सकती थी. यहां आज…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…