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1 Comments

  1. शम्‍भूदत्‍त सती

    गुरूदेव को प्रणाम,
    मैं भी इस किस्‍से को भूल गया था, बरसों बाद आज आपने याद दिला दी। न जाने अभी भी आपके जेहन में कितनी बातें दबी छुपी होंगी। आपसे मिलने की अभिलाषा मन में रखते हुए भी, पलायन की दौड़ में आपसे मिल नहीं पा रहा हूं। जाने कभी संयोग हो जाय। पिछली बार डॉ. विजया सती जी ने बताया आपको बटरोही जी याद कर रहे थे, मैंने उनसे भी आपसे मिलने का वादा कर दिया था लेकिन मिल नहीं पाया। क्षमा याचना के साथ भरपूर कोशिश रहेगी।
    सादर,
    शम्‍भूदत्‍त सती

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