देना!
– नवीन सागर
जिसने मेरा घर जलाया
उसे इतना बड़ा घर
देना कि बाहर निकलने को चले
पर निकल न पाये.
जिसने मुझे मारा
उसे सब देना
मृत्यु न देना.
जिसने मेरी रोटी छीनी
उसे रोटियों के समुद्र में फेंकना
और तूफान उठाना.
जिनसे मैं नहीं मिला
उनसे मिलवाना
मुझे इतनी दूर छोड़ आना
कि बराबर संसार में आता रहूं.
अगली बार
इतना प्रेम देना
कि कह सकूं: प्रेम करता हूं
और वह मेरे सामने हो.
किसने आख़िर ऐसा समाज रच डाला है
मध्य प्रदेश के सागर में 29 नवम्बर 1948 को जन्मे नवीन सागर (Naveen Sagar) के कुल दो कविता संग्रह प्रकाशित हुए – नींद से लंबी रात’ और ‘हर घर से गायब’. बेहद संवेदनशील कविताओं के कवि नवीन सागर लोकप्रियता और प्रसिद्धि से दूर रहने वाले इंसान थे. 14 अप्रैल 2000 को हुई अपनी असमय मृत्यु से पहले वे अपना एक अलग नाम बना चुके थे. Naveen Sagar
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…