उत्तरकाशी में दुष्कर्म के बाद बच्ची की हत्या पर नैनीताल हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अपनाया है. सरकार को कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए है. कोर्ट ने हर जिले में 48 घंटे के भीतर दुराचार व हत्या के मामलों में स्थायी एसआईटी गठित करने के आदेश पारित किया है. साथ ही पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने के आदेश सरकार को दिए है. जघन्य अपराधों से सम्बंधित केसों में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से त्वरित सुनवाई करने का भी निर्देश दिए है. साथ ही कोर्ट ने सरकार से जबाब तलब किया है कि हिमांचल की तर्ज पर भूमि कानून बनाया है कि नहीं.
उत्तरकाशी में हुए किशोरी के साथ दुष्कर्म और निर्मम हत्या करने वाले आरोपी को पुलिस ने पकड़ लिया है. मुकेश लाल उर्फ बंटी ने किशोरी के साथ दुष्कर्म और निर्मम हत्या की घटना को अंजाम दिया. पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूला है. आरोपी पर धारा 302, 376, 363 व 3/4 पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यालय स्तर से घटना के जल्द एसटीएफ, एफएसएल, जनपद देहरादून एवं नैनीताल से विशेष टीमों को उत्तरकाशी भेजा गया था. ये टीमें तथा जनपद उत्तरकाशी की टीमों के द्वारा घटना की बड़ी ही गहनता से छानबीन की गयी. घटनास्थल से प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर पता चला कि खच्चर चलाने का काम करने वाले मुकेश लाल उर्फ बंटी पुत्र पवन निवासी दीन गांव थाना लंबगांव टिहरी, जो वर्तमान में मृतका के पड़ोस के ही गांव में रहता था और एक-दो बार वो नशे की हालत में देर रात मृतका के घर गया था. और बातचीत की कोशिश की लेकिन उनकी मां जाग गई और उसे भगा दिया. आरोपी द्वारा मृतका की बड़ी बहन को सक्रान्त के दिन उठा ले जाने की धमकी दी गई थी. जिसके बाद बड़ी बहन अपने ननिहाल चली गई. रात को आरोपी युवक शराब पीकर मृतका के घर गया और मृतका (छोटी बहन) को घर से सोते हुये उठाकर ले गया था.
देवभूमि में एक के बाद एक हो रहे दुष्कर्म की घटनाओं के बाद लोगों में गुस्सा सातवें आसमान में है. लोगों ने शासन व प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. लोगों के बढ़ते जनाक्रोश को देखते हुए एवं लगातार हो रहे दुष्कर्म की घटनाओं पर कोर्ट ने सख्त रूप अपनाया है. पूर्व में भी इस तरह की घटनाओं के कुछ दिनों बाद शासन व प्रशासन शिथिल नजर आने लगता है. इसी के मद्देनजर कोर्ट फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के भी निर्देश सरकार को दिए गए है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार की देश भर में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की गति बेहद सुस्त है,जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मसलें पर केंद्र सरकार को पूर्व में दिशा-निर्देश जारी किए गए है. लेकिन सरकार पर इसका अभी तक कोई खास फर्क पड़ता नही दिखाई दे रहा है.
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