सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि पिछले चार वर्षों में लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वेतन-भत्तों पर सरकारी खजाने से कुल 19.97 अरब रुपये की रकम खर्च की गई है. इस भुगतान का हिसाब लगाने से पता चलता है कि 2014-15 से लेकर 2017-18 के बीच प्रत्येक साल हर लोकसभा सांसद को वेतन-भत्तों के रूप में औसतन 71,29,390 रुपये का भुगतान किया गया. वहीँ राज्यसभा सचिवालय ने आरटीआई अर्जी पर बताया कि 2014-15 से लेकर 2017-18 के बीच राज्य सभा सदस्यों को वेतन और भत्तों के रूप में कुल (4.43 अरब) रुपये का भुगतान किया गया.
मध्य प्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि लंबी मशक्कत के बाद उन्हें सूचना के अधिकार के तहत अलग-अलग अर्जियों पर यह अहम जानकारी मिली है. आरटीआई पर लोकसभा सचिवालय से मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2017-18 के बीच संसद के इस निचले सदन के सदस्यों के वेतन और भत्तों की अदायगी के लिये (15.54 अरब) रुपये खर्च किए गए.
वहीं उत्तराखंड में सांसद निधि के खर्च की यह स्थिति आरटीआइ कार्यकर्ता व अधिवक्ता नदीमउद्दीन की ओर से मांगी गई जानकारी में बड़े हैरान करने वाले आकंडे सामने आये है.लोकसभा सांसदों का कार्यकाल समाप्त होने को कुछ ही माह शेष हैं और अब तक करीब 40 फीसद सांसद निधि जारी होना बाकी है. सवाल उठता है क्या जनप्रतिनिधि जनता के विकास कार्यो को लेकर गंभीर है?
RTI के मुताबिक सांसदों को अब तक मिलने योग्य करीब 112 करोड़ रुपये में से सिर्फ 67.5 करोड़ रुपये ही मिल पाए हैं. वहीं, खर्च की बात करें तो प्राप्त बजट में से भी 21 करोड़ रुपये से अधिक शेष हैं. खर्च के हिसाब से उपलब्ध राशि की बात करें तो सर्वाधिक निधि नैनीताल लोकसभा क्षेत्र के सांसद भगत सिंह कोश्यारी को 20 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं. आश्चर्यजनक है कि खर्च की बात करें तो 30 फीसद बजट अभी भी बचा है. उधर, इससे पहले के लोकसभा सांसदों के 5.33 करोड़ रुपये खर्च होने को शेष हैं. एक तरफ अरबों के वेतन भत्ते सांसद ले रहे है लेकिन जनता के विकास कार्यो के लिए मिलने वाले धन का समय पर उपयोग नही कर पा रहे है.
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