यह बात ज्यादातर लोगों को बहुत नागवर लगेगी और बहुत क्रूर भी लेकिन हर पल बिना किसी दुख का, एक नया और बच्चों जैसे भोलेपन से भरा, आनंद और उत्साह से लबरेज जीवन जीने के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम हर नए दिन की इबारत लिखना शुरू करने से पहले उस दिन से पहले के जीवन को धो-पोंछकर अपनी स्लेट बिल्कुल साफ कर लें. ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि हमारे ज्यादातर दुख कल को याद करने की वजह से ही जन्म लेते हैं.
(Mind Fit 5 Column by Sundar Chand Thakur)
हमारे भीतर जो सतत मनोवैज्ञानिक संघर्ष, मंथन चलता रहता है, उसकी वजह हमारी गुजरे जीवन की स्मृतियां हैं. वे बुरी थीं तो भी उनकी याद हमें दर्द ही देगी, वे अच्छी थीं, तो भी दर्द ही मिलेगा. आपने इस बात पर कभी गौर किया या नहीं लेकिन यह बात सच है कि हम हर पल खुद को खुशी देने, अच्छा महसूस करवाने की कोशिश करते रहते हैं- शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर. इसीलिए हम हर वक्त शरीर को आराम की स्थिति में रखने की कोशिश करते हैं. ट्रेन में हैं तो बैठ जाना चाहते हैं, गर्मी में ठंडक खोजते हैं, जरा-सी भूख लगती है, तो कुछ न कुछ खा लेते हैं. मानसिक स्तर पर हम अच्छी खबरों का इंतजार करते रहते हैं, दूसरों से अपनी तारीफ, समाज में अपना नाम, पदोन्नति, लोगों के बीच अपनी चर्चा, पावरफुल पॉजिशन आदि ये बातें हमारे रोज के संघर्ष का मकसद होती हैं.
कई बार जब मौजूदा स्थिति में हम खुद को खुश करने की वजहें तलाशने में नाकाम रहते हैं, तो हम उन्हें तलाशने अतीत की ओर निकल पड़ते हैं. हम अपने उन अनुभवों को याद करते हैं, जो किसी जमाने में हमारी खुशी का सबब बने थे. हम प्रेमी/प्रेमिकाओं के साथ परवान चढ़ते अपने इश्क की कहानी से दृश्य छांटने लगते हैं. अतीत से खुशी की तलाश के लिए हम शिकारी कुत्तों की तरह मौसम, वनस्पति और भोजन के गंध की स्मृतियों तक को नहीं छोड़ते. हम बहुत बचपन के दोस्तों को याद करते हैं. चूंकि बचपन निश्छलता में बिना ईगो के गुजरता है इसलिए उसका हिस्सा बने ज्यादातर दोस्त और वाकये हमें मिठास ही देते हैं, इसलिए हम शिकारी कुत्तों को बचपन की बेहद धुंधली पड़ चुकी स्मृतियों पर भी छोड़ देते हैं.
हमारी कोशिश किसी तरह अच्छा महसूस करना होती है. लेकिन हम यह नहीं समझ पाते कि ऐसा करके हम तिलस्म में और फंसते चले जाते हैं. सोचिए अगर आप एक भूखे व्यक्ति को स्वादिष्ट भोजन की तस्वीर दिखाओगे तो उसकी भूख बढ़ेगी या कम होगी. भूख भी बढ़ेगी और मनोवैज्ञानिक स्तर पर दर्द और तकलीफ भी. भूखे व्यक्ति के लिए भूख मिटाने का एक ही तरीका है कि वह असल में और असली भोजने खाए. इंसान के लिए उसका वर्तमान पल असली होता है. उस पल में उसका मन कैसा है, वह कितना डूब के जी रहा है, काम कर रहा है, कितना अपने होने के बोध से भरा हुआ है, इन सबसे उसे खुशी मिल सकती है, अच्छा महसूस हो सकता है. पीछे की अब अवास्तविक हो चुकी दुनिया में जाकर लोगों और घटनाओं को याद करने से उसे तकलीफ ही मिलने वाली है. कुछ क्षणों के लिए उसे अच्छा महसूस होने का वहम हो सकता है क्योंकि वह आपको दिमागी स्तर पर प्रभावित करता है.
(Mind Fit 5 Column by Sundar Chand Thakur)
यह ऐसा ही है जैसे कोई शराबी दुखों को भुलाने के लिए शराब पीता है. उसे सुरूर होता है, अच्छा लगता है, वह अपने गम भी भूल जाता है, लेकिन कहानी तो वहीं खत्म नहीं होती. वह आगे चलती रहती है. कहानी में आगे वह कई पैग पी जाता है. उलटियां करता है. लौटते हुए रास्ते में नाली में गिर जाता है. घर पहुंचता है तो बीवी दहलीज पर ही खड़ी मिल जाती है. वह कुछ कम भी मारती आज मगर कपड़ों से उठती दुर्गंध में आपा खो देती है. और उसके बाद क्या होता होगा इसकी आप खुद ही कल्पना कर लें.
इस बात को याद रखना चाहिए कि असली जीवन हमेशा वर्तमान क्षण में घटित हो रहा होता है. इसलिए यह जरूरी है कि आप हमेशा वहां उपस्थित रहें. वहां आपकी उपस्थिति जितनी ज्यादा रहेगी, आपका जीवन उतना ही दुर्घटनाओं से बचा रहेगा और आप वह सब कर रहे होंगे, जो वस्तुत: आपके जीवन को खुशहाल बनाने के लिए उपयोगी है. पूरी जागरूकता के साथ मौजूदा पल में उपस्थित रहते हुए आप खुशी को खोजने अतीत में नहीं जाएंगे.
आपके सामने भागती, सांस लेती जिंदगी पसरी हुई है, उसी का मुआयना करें. ये देखिए रेल की खिड़की के बाहर कितना नीला खुला आकाश पसरा हुआ है और देखिए जरा दाहिनी ओर कैसे पक्षी एक कतार में उड़े जा रहे. अरे ये ऐसी कतार कैसे बना लेते? थोड़ा विस्मित हो जाइए इन पक्षियों को देखकर. देखिए आपकी सीट के सामने ही वह आठ-दस बरस की लड़की. उसकी आंखों में इतनी चमक कैसे? कितना कुछ है आसपास जीवन में विस्मित होने के लिए, पर वह आपको तभी दिखेगा जब आप पूरी सतर्कता से वर्तमान पल पर सवार होकर जिएंगे. आप ऐसा तभी कर पाएंगे जब अपने कल तक के जीवन को अपनी स्मृति की स्लेट से मिटा देंगे. वह अगर रहेगा, तो उसमें बहुत-सी यादें आपको बार-बार अपने पास आने की दावत देती रहेंगी और आप खुद को रोक नहीं पाओगे. लेकिन उनकी दावत स्वीकार करने पर आगे क्या होगा इस कुचक्र के बारे में आप अब जानते ही हैं.
(Mind Fit 5 Column by Sundar Chand Thakur)
–सुंदर चंद ठाकुर
कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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