नया वर्ष सिर पर है. आप नव वर्ष की प्रतिज्ञाएं लेने का मन बना ही चुके होंगे. इस बात का खयाल आते ही मुझे लगा कि क्यों न मैं आपकी कुछ मदद करूं और आपको कुछ ऐसी प्रतिज्ञाएं बताऊं, जो मैंने इधर खुद पर आजमाई हैं और जिनकी वजह से मैं आनंद से लगभग अभिभूत ही बना रहता हूं. ये बहुत सामान्य किस्म की ही बातें हैं, जिन्हें आप किसी न किसी रूप में दूसरी जगहों में भी पढ़ते ही रहे होंगे. जो लोग इन सभी प्रतिज्ञाओं को जीवन में उतार लेंगे, उनके साथ सब कुछ मनचाहा होगा. धन, यश, पद, आनंद जिसकी भी वे कामना करेंगे, उनके जीवन में वही यथार्थ बन जाएगा.
(Mind Fit 29 Column)
1. मैं वर्ष के पहले ही दिन अपने सबसे बड़े से लेकर सबसे छोटे दुश्मन या ऐसे व्यक्ति को जो मेरी घृणा का पात्र है, क्षमा कर दूंगा और पूरे वर्ष किसी को उनका स्थान नहीं लेने दूंगा.
2. मैं भोजन करने से पूर्व प्रकृति का आभार व्यक्त करूंगा और पूरे ध्यान से चबा-चबाकर भोजन करूंगा.
3. किसी के साथ वैसा बर्ताव नहीं करूंगा, जैसा मैं दूसरों से स्वयं अपने लिए नहीं चाहता.
4. साल में कम से कम दो आध्यात्मिक पुस्तकें पढूंगा.
5. रोज 20 मिनट का ध्यान करूंगा. दिन भर में जब भी मुझे वक्त मिलेगा, मैं ध्यान करूंगा. मैं अपनी एकाग्रता बढ़ाने के लिए भी अभ्यास करूंगा.
6. अपने सभी पुराने व्यसनों को छोड़ दूंगा और कोई नया व्यसन शुरू नहीं करूंगा.
7. रोज कम से कम 45 मिनट शारीरिक व्यायाम अथवा योगाभ्यास के लिए निकालूंगा.
8. रात में 11 बजे से पहले सो जाऊंगा और सुबह सूर्योदय से पहले उठूंगा.
9. गायत्री मंत्र को अर्थ समेत याद करूंगा और पूरे दिन में कम से कम एक बार उसका उच्चारण करूंगा.
10. अतीत और भविष्य को छोड़कर हमेशा वर्तमान में रहने का प्रयास करूंगा. इसके लिए मैं हर पल सजग, सचेत रहने का अभ्यास करूंगा.
11. बेहद असहाय व्यक्ति अथवा परिवार की अपनी सामर्थ्य के अनुसार मदद करूंगा और इसके बारे में किसी को बताऊंगा नहीं.
12. भोजन कितना भी स्वादिष्ट हो, मैं हमेशा भूख से थोड़ा कम खाऊंगा.
13. रात को सोने से एक घंटा पहले और सुबह उठने के एक घंटे बाद तक मैं मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करूंगा.
14. पूरे साल में कम से कम एक नई चीज, जो कि कोई खेल भी हो सकता है, जरूर सीखूंगा.
15. अपने घर पर ही सही, मैं पौधे लगाऊंगा और स्वयं उन्हें रोज पानी दूंगा.
16. साल में एक बार मैं घूमने के लिए शहर से दूर प्रकृति की शरण जाऊंगा.
17. यह एक तथ्य है कि विचारों की प्रकृति बादलों जैसी होती है, वे उठते हैं और चले जाते हैं. इस तथ्य को जान लेने के बाद मैं किसी भी विचार के साथ खुद को बंधने नहीं दूंगा.
18. मैं जब जो कार्य कर रहा होऊंगा, उसे अपनी संपूर्ण एकाग्रता के साथ करूंगा. एक कार्य को करते हुए दूसरे कार्य की चिंता नहीं करूंगा.
(Mind Fit 29 Column)
19. मैं इस तथ्य को भी समझूंगा कि आदमी को दुख सिर्फ सोचने से मिलता है. वस्तुत: तो उसके सामने स्थितियां होती हैं, जिनका उसे सामना करना पड़ता है. इस साल कैसी भी कठिन स्थितियां आएं, मैं उनके बारे में सोचूंगा नहीं, बल्कि उनका डटकर सामना करूंगा.
20. अपनी श्वास के प्रति बोधपूर्ण रहूंगा. पूरे दिन में कम से कम पांच बार दो मिनट तक अपनी श्वास पर ध्यान केंद्रित करूंगा. श्वास को लंबा और गहरा (वह पेट में भरनी चाहिए न कि छाती में) खींचने का अभ्यास करूंगा.
(Mind Fit 29 Column)
-सुंदर चंद ठाकुर
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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