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2 Comments

  1. Anonymous

    बहुत सुंदर। बिल्कुल मौलिक। ये सोंधापन बरकरार रहे। शुभकामनाएं- रयाल

  2. Bhanu Prakash Srivastava

    ‘एक समय वृषभानु दुलारी के हार विहार में टूट गए
    बावन सेज,तिरसठ आँगन सत्तर ग्वालिन लूट लिए
    अर्ध गए इत में उत में पिय पंचम भाग चुराय लियो
    सखी बोलो कितने मोतिन माल गुहे.’
    यह प्रश्न किस किताब से है?

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