काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree
इस बार मैं अपने सबसे favourite टॉपिक माइंडफुलनेस और मेडिटेशन पर आपसे बात करने जा रहा हूं. माइंडफुलनेस और मेडिटेशन आज के भागते-दौड़ते समय में जीवन को हेल्दी और वेल्दी बनाने के लिए सबसे जरूरी हैं. अगर मैं दुनिया भर में अब तक हो चुकी स्टडीज के आधार पर कहूं तो मेडिटेशन करने से आपका stress कम होता है, anxiety कम होती है, फोकस और concentration बढ़ता है, आपकी इमोशनल हेल्थ सुधरती है, आपकी सेल्फ अवेयरनेस बढ़ती है, आपकी नींद बेहतर होती है, आपका pain management बेहतर होता है, आपका ब्लड प्रेशर सुधरता है, आपके ब्रेन का structure बदलकर और हेल्दी हो जाता है आपके भीतर compassion और empathy बढ़ जाती है. संभवत: रोज के 10 मिनट के investment पर यह हमारा अधिकतम संभव maximum possible return है. लेकिन अफसोस कि फिर भी आप में से ज्यादातर लोग मेडिटेशन को गंभीरता से नहीं लेते. उसमें टाइम इन्वेस्ट नहीं करते. उम्मीद है कि यह विडियो देखने के बाद स्थिति बदल जाएगी और आप डेली मेडिटेशन की प्रैक्टिस शुरू कर देंगे.
आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में युवाओं के लिए बेहिसाब चुनौतियां बहुत बढ़ गई हैं. उन पर पढ़ाई का प्रेशर है, समाज की उम्मीदों का प्रेशर है और डिजिटल दुनिया का लगातार बढ़ता हुआ अटैक है. इसकी वजह से वे stress, anxiety में ज्यादा रहते हैं और एक हेल्दी मेंटल स्टेट बनाकर रख पाना उनके लिए एक बड़ा चैलेंज बन गया है. इस विडियो में हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि माइंडफुलनेस और मेडिटेशन क्यों युवाओं के लिए बहुमूल्य invaluable tools हैं और कैसे वे इनके इस्तेमाल से अपने जीवन की चुनौतियों से निपट सकते हैं.
चलिए शुरुआत करते हैं माइंडफुलनेस की definition से- सबसे पहले तो यह बता दूं कि यह सिर्फ बहुत पॉपुलर और बाजार में चल रहा शब्द भर नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है, एक ढंग है. माइंडफुलनेस की आपके जीवन में मौजूदगी तय करती है कि आप अपने जीवन को कैसा महसूस करते हुए जी रहे हैं. माइंडफुलनेस वर्तमान क्षण यानी present moment के प्रति बिना किसी जजमेंट के एक गहरी सजगता या अवेयरनेस में जीने का अभ्यास है. it’s about our full engagement with our thoughts, feelings and surroundings.
Scientific researches से समय-समय पर जानकारी मिली है कि mindfulness का हमारी well-being पर बहुत गहरा असर पड़ता है. बेहतर फोकस क्षमता और concentration के साथ स्ट्रेस, एंजाइटी में कमी और इमोशंस पर बेहतर कंट्रोल, इसके फायदों की लिस्ट बहुत लंबी है. अगर आप मुझसे पूछो तो मेरी जिंदगी के transformation me अगर किसी एक चीज ने सबसे बड़ी निर्णायक भूमिका निभाई है, तो वह मेडिटेशन और माइंडफुलनेस ही है. आपने अगर इनका अभ्यास शुरू कर दिया, तो transformation तय है.
अब सवाल पूछा जा सकता है कि युवाओं के लिए माइंडफुलनेस का अभ्यास ज्यादा जरूरी क्यों? इसकी वजह यह है कि युवा अपनी identity से जुड़ी complexities से, रिलेशनशिप issues से और समाज की अपेक्षाओं से यानी स्ट्रेस और एंजाइटी पैदा करने वाले issues के साथ ज्यादा डील कर रहे होते हैं. माइंडफुलनेस उनमें इन सबकी वजह से पैदा होने वाले स्ट्रेस व एंजाइटी को मैनेज करने के लिए जरूरी resilience पैदा करता है और उनके भीतर जीवन को लेकर एक पॉजिटिव नजरिया भरता है.
इस बात को समझें कि मेडिटेशन यानी ध्यान माइंडफुलनेस का गेटवे है. ध्यान के रास्ते ही आप माइंडफुलनेस के स्वर्ग तक पहुंचते हैं. यह एक तरह से स्वर्ग का ही द्वार है. ध्यान के जरिए हम अपनी एकाग्रता को एक शांत और स्थिर मन पाने में लगाते हैं. मेडिटेशन के अभ्यास के जरिए हम अपने मन को वर्तमान क्षण में रहना सिखाते हैं. याद रखें कि जीवन हमेशा present moment से ही बाहर आ रहा होता है. अगर आप present moment को छोड़कर past या future में जाते हो तो आप जिंदगी को ही मिस करते हो, जिंदगी को ही खो देते हो. जब भी आप मेडिटेशन का अभ्यास करते हैं, तो बदले में आपको मन की शांति मिलती है. मेडिटेशन के अलग-अलग तरीके हैं. हर व्यक्ति को अपना ही कोई खास तरीका ज्यादा प्रभावी लगता है. पहले जान लेते हैं कि तरीके कौन-कौन से हैं.
बहुत सारे लोग मेडिटेशन के फायदों को समझते हैं और मन से चाहते भी हैं कि वे मेडिटेशन का रोज अभ्यास करें, पर जब बैठते हैं तो मन शांत होने की बजाय अशांत होने लगता है क्योंकि एक साथ कई तरह के विचार आने लगते हैं. ऐसे लोगों की मदद के लिए ही guided meditation है. इस मेडिटेशन में आप किसी एक्सपर्ट की guidance का सहारा लेते हैं. जैसे मैं खुद योगा की क्लास लेते हुए अपने स्टूडेंट्स को मेडिटेशन करवाता हूं. आप चाहें तो एक मिनट का आपको भी करवा देता हूं. जरा आंखें बंद कर लें. बंद कर लें कहा है तो कर ही लें. करके खुद देखें कि कैयसा महसूस होता है. चलिए बंद करें आंखें. कमर को सीधा करें. पीठ एकदम तनी हुई. नजर सामने से थोड़ा सा ऊपर. अब अपनी सांस पर ध्यान देना शुरू करें. सांस जब नाक के भीतर प्रवेश करती है उसी वक्त अपनी चेतना, अपनी consciousness को सांस पर ले आएं और सांस के साथ आप भी भीतर जाएं. सांस के साथ ही बाहर आएं. सांस पर ही सवार हो जाएं. कल्पना करें कि आप बर्फीले कैलाश पर्वत में किसी चट्टान पर ध्यान की मुद्रा में बैठें हैं. हुबहू आदियोगी शिव की तरह. आपका शरीर एकदम पत्थर का हो गया है. उसमें सुई बराबर मूवमेंट भी नहीं है. एकदम स्थिर. स्टैंड स्टिल.
अब अपने ध्यान को दोनों आंखों के बीच जहां पर शिव की तीसरी आंख रहती है, अपने आज्ञा चक्र में ले आओ. यहां एकदम स्थिर हो जाओ. पूरा संतुलन बनाते हुए समय की नोक पर सवार हो जाओ. मन में यह खयाल लाओ कि तुम इस ब्रह्मांड के शहंशाह हो. तुम सर्वशक्तिमान हो. अब अपनी चेतना को फिर से अपनी सांस पर ले आओ. शरीर पर हवा के स्पर्श को महसूस करो. नजदीक से और दूर से आ रही सूक्ष्म आवाजों को सुनो. अब दोनों हथेलियों को आपस में जोर से रगड़ो. हथेलियों में एनर्जी आने दो. अपने एनर्जी से भरे दोनों हाथों से अपना चेहरा ढंक लो. अपनी ऊर्जा चेहरे को ट्रांसफर कर दो. मन में यह भाव लाओ कि इस ऊर्जा को पाकर तुम्हारा चेहरा तेजस्वी हो गया है. ओजस्वी हो गया है. अब धीरे से अपनी हथेलियों को हटाओ और आंखें खोलो. तो कैसा लगा दोस्तो, यह एक छोटा-सा guided meditation. अब अगला है.
Transcendental Meditation जिसे कि शॉर्ट में TM कहते हैं को 1950 के दशक में महर्षि महेश योगी ने अमेरिका में शुरू किया था. इसमें हम किसी खास मंत्र के जाप का उपयोग करते हैं. एक शांत जगह पर जाकर आप कुछ देर इस मंत्र का जाप करते हैं और जाप में ही खो जाते हैं. किसी मंत्र को चुपचाप दोहराते रहने से मन शांत होता जाता है. मन में मंत्र के ही vibrations आने लगते हैं. Transcendental Meditation के अलावा एक और मेडिटेशन है-
माइंडफुल मेडिटेशन की कई techniques हैं. इसमें सांस के प्रति अवेयरनेस एक है. आपको सिर्फ अपनी सांस को भीतर-बाहर आते-जाते witness करना है. हमारे attention की एक खासियत यह है कि वह एक समय में एक ही जगह पर रह सकता है, दो जगह नहीं. तो जब आप अपनी सांस पर ध्यान देते हो, पूरी एकाग्रता सांस पर टिका देते हो, तो आप जिस पल में सांस घटित हो रही होती है, उसी पल में जीते हो और सांस हमेशा वर्तमान पल में ही घटित होती है. इस तरह सांस पर अवेयरनेस आते ही आप वर्तमान पल में जीने लगते हैं. सांस के अलावा mindful walking के जरिए भी माइंडफुल मेडिटेशन संभव है. वियतनाम के विश्व प्रसिद्ध buddhist monk Thich Naht Hanh थिक न्हाट हान ने mindful walking के जरिए mindful meditation को बहुत लोकप्रिय बनाया. अपने विचारों के प्रति साक्षी भाव लाकर – by learning to be a witness of your own thoughts without any attachment इस तरह भी आप mindful meditation की practice कर सकते हैं. दोस्तो ये सभी विधियां हमें वर्तमान क्षण present moment में बांधे रखती हैं और माइंडफुलनेस को हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बनाती हैं.
युवाओं के लिए माइंडफुलनेस मेडिटेशन की एक बहुत आसान technique माइंडफुल ब्रीदिंग है. जब भी लगे कि स्ट्रेस बढ़ रहा है, तुरंत अपनी सांस पर ध्यान ले जाएं. धीमी गहरी सांस खींचे और उसे धीरे-धीरे रिलीज करें. अपना पूरा ध्यान, पूरी एकाग्रता अपनी सांस पर ले आएं. यहां आप ब्रीदिंग की 478 technique का भी यूज कर सकते. 478 यानी 4 काउंट तक सांस लो, 7 काउंट तक उसे रोकर रखो और 8 काउंट तक उसे छोड़ो. इसी तरह आप बॉक्स technique का इस्तेमाल भी कर सकते. इसमें आपको ब्रीदिंग के चारों हिस्से – पूरक inhalation, कुंभक retention, रेचक exhalation और शून्यक external retention सभी को बराबर काउंट तक करना है. यानी अगर 4 काउंट तक सांस ली, तो 4 काउंट तक ही उसे रोकोगे, 4 काउंट तक उसे छोड़ोगे और 4 काउंट तक ही उसे बाहर रोकोगे. एक square की कल्पना करें और अपनी सांस के हर हिस्से को उसकी एक साइड मानें. यह बहुत सिंपल लेकिन उतनी ही पावरफुल टेक्नीक है. अगर नियमित करेंगे तो कुछ ही दिनों में आपको फायदे महसूस होने लगेंगे.
युवा अगर चाहें तो माइंडफुलनेस टेक्नीक का इस्तेमाल अपनी पढ़ाई में कर सकते हैं. वे इसका उपयोग खराब आदतों से छूटने के लिए कर सकते हैं. मोबाइल के ओवर यूज से यूथ को डोपामीन की लत लग चुकी है. माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस उन्हें इस ओवरयूज से बचा सकती है. यूथ ही क्यों हर उम्र के लोग मोबाइल के ओवरयूज का शिकार हैं. वह उनकी आदत बन गया है. और इसे अच्छी आदत नहीं कहा जा सकता. माइंडफुलनेस में ही वह शक्ति है जो इस आदत को उखाड़ सकती है. स्टूडेंट्स को अपनी पढ़ाई के लिए भी माइंडफुलनेस का यूज करना चाहिए. पढ़ाई से पहले और पढ़ाई के दौरान इसके उपयोग से वे ज्यादा फोकस और कॉन्सन्ट्रेशन के साथ पढ़ पाएंगे और ज्यादा content याद भी रख पाएंगे.
अगर ध्यान में बैठना इतना ही आसान होता तो पूरी दुनिया गौतम बुद्ध बन चुकी होती और सबके पास enlightenment का medal होता. शुरू में जब आप ध्यान करने बैठेंगे तो लगेगा कि इससे तो मन शांत होने की बजाय अशांत ज्यादा हो रहा. लेकिन मैं आपको साफ कर दूं कि यह बहुत शुरू में ही होगा. धीरे-धीरे आपके मन को जब ध्यान का स्वाद लगेगा और ध्यान का स्वाद आपके मन को नहीं आपके being को लगता है, तो आप दुनिया को छोड़ देंगे, पर ध्यान को छोड़ने को तैयार न होंगे. लेकिन शुरू की दिक्कतों को समझना जरूरी है. शुरू-शुरू में ध्यान में बैठने की कोशिश करते हुए आपका मन और ज्यादा भटकेगा. विचार खत्म होने की बजाय और बढ़ जाएंगे. तो इससे घबराना नहीं है. आपको बिना हिले-डुले एक जगह बैठना मुश्किल काम लगेगा. पर आप अगर अपने अभ्यास को जारी रखोगे, तो धीरे-धीरे आप इन चुनौतियों को पार करते जाओगे. आप छोटे-छोटे ध्यान से शुरू करो. दो मिनट का ध्यान कर लो शुरू में. That’s also good enough. Something is better than nothing. When you get used to 2 minutes increase it to 5 minutes. A regular meditation practice of 20 minutes is just perfect. इतने से तुम्हारा काम चल जाएगा. अगर रोज 20 मिनट का ध्यान करते रहे, तो यह आपको परम सत्य तक भी पहुंचा सकता है. सीरियसली. हंसने की बात नहीं है.
तो दोस्तो हम विडियो के अंत तक आ पहुंचे हैं. मेरी कोशिश होती है कि मैं बहुत लंबे विडियो न बनाऊं. आप लोगों का टाइम बेशकीमती है. इसलिए अपनी बात शॉर्ट एंड क्रिस्प रखने की कोशिश करता हूं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि माइंडफुल मेडिटेशन सिर्फ ट्रेंड नहीं है कि आप ओपरा विनफ्रे से लेकर डॉ. दीपक चोपड़ा जैसों को इसकी बात करते सुनते हो. महर्षि पतंजलि से लेकर भगवान श्रीकृष्ण और भारत के महान ऋषि मुनि ध्यान की ताकत के बारे में बोलते ही रहे हैं. एपल के सीईओ स्टीव जॉब्स को भी ध्यान का गुणगान करते देखा गया था. मैं खुद पिछले 10 सालों से नियमित मेडिटेशन और माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस करता हूं और अपनी लाइफ के ट्रांसफॉर्मेशन में सबसे निर्णायक भूमिका इसी की मानता हूं. मेडिटेशन आपकी जिंदगी में मजे यानी आनंद को 10 गुना बड़ा देगा और आप एक साथ फिजिकल, मेंटल और स्प्रिचुअल लेवल पर ग्रो करने लगोगे. इसलिए कृपया इसे अपने डेली रूटीन का हिस्सा बनाएं. खासकर सुबह उठने और रात को सोने से पहले जरूर मेडिटेशन करने की कोशिश करें. यह आपके सोचने के ढंग में बहुत clarity लेकर आएगा, लाइफ में कोई purpose पैदा होगा और आप विपरीत स्थितियों का हंसते हुए मुकाबला करोगे.
सुन्दर चन्द ठाकुर
कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
इसे भी पढ़ें: Positive Affirmations से शर्तिया बदलो अपनी जिंदगी
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…