Uncategorized

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की स्पष्ट नीति जारी करेगी सरकार

उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने आज राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य निर्माण में योगदान देने वाले आंदोलनकारियों के लिए एक स्पष्ट नीति जारी करे. उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों के मामले में किसी भी तरह की लापरवाही का कोई स्थान नहीं है. उन्होंने यह निर्देश सदन में कार्यस्थगन प्रस्ताव पर सरकार का उत्तर आने के बाद दिए.

देश कांग्रेस अध्यक्ष और चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि राज्य बनने के लगभग 18 साल बीत जाने के बावजूद अब तक आंदोलनकारियों की पहचान न हो पाने के कारण उनमें भारी रोष है.

उन्हें क्षैतिज आरक्षण का लाभ भी नहीं मिल रहा. उन्होंने आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण की कट ऑफ डेट तय करने और उन्हें राज्य निर्माण सेनानी घोषित करने की मांग की. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी की तरह राज्य आंदोलनकारियों को भी एक समान पेंशन दी जाए और उन्हें पेंशन पट्टा जारी किया जाए. सरकार ने कहा कि आंदोलनकारी के कॉरपस फंड की धनराशि कोषागार के माध्यम से होगी.

प्रस्ताव का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि चिन्हीकरण की आखिरी कट आफ तिथि 31 दिसंबर, 2017 की समाप्ति तक पूरे प्रदेश के विभिन्न जिलों में निर्धारित मानकों के आधार पर 11536 आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण हो चुका है.

इनमें से 548 को सरकारी सेवा में समायोजित किया जा चुका है जबकि 7705 को पेंशन दी जा रही है. मंत्री ने कहा कि नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को अदालत ने स्वीकार्य नहीं किया है. और अब इसका समाधान निकालने पर विचार किया जा रहा है.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की तीसरी बेंच ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में दस फीसद क्षैतिज आरक्षण देने को असंवैधानिक करार दिया है. प्रदेश सरकार के आरक्षण देने के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए अदालत ने यह फैसला दिया. इससे पहले हाईकोर्ट के दो न्यायाधीशों ने आरक्षण पर अलग-अलग निर्णय दिया था. इनमें से एक ने आरक्षण को सही ठहराया था, जबकि दूसरे ने असंवैधानिक। इसी के चलते मुख्य न्यायाधीश ने मामला तीसरे न्यायाधीश को सौंपा था.

सरकार का मत है कि पेंशन देने के लिए राज्य सरकार ने तीन श्रेणियां बनायी हैं जिसमें आंदोलन के दौरान प्राण गवांने वाले या सात दिन से अधिक सजा काटने वाले आंदोलनकारियों से लेकर पूर्णतया विकलांग हो चुके आंदोलनकारियों और सामान्य आंदोलनकारियों तक सभी को 3100 रूपये से लेकर 10000 रूपये प्रतिमाह तक की पेंशन दी जा रही है. जिन परिवारों ने अपनों को खो दिया, उनकी और सामान्य श्रेणी पेंशन को समान रखना उचित नहीं है. इसके बाद स्पीकर ने पीठ से सरकार को निर्देश दिए

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

1 week ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

1 week ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago