सिनेमा

हिन्दी सिनेमा के गीतों में मुनस्यारी से बोल

हिन्दी सिनेमा में लम्बे समय उत्तराखंड के कलाकारों का नाम रहा है. रुपहले पर्दे पर भले ही गिने-चुने नाम हम जानते हों लेकिन इसके पीछे हज़ारों ऐसे उत्तराखंडी कलाकार हैं जो हिन्दी सिनेजगत में अपनी पहचान रखते हैं. पिछले कुछ सालों में ऐसा ही एक नाम रहा है लवराज टोलिया का.
(Gham Pani New Kumaoni Song Teaser)

मुनस्यारी जैसी खूबसूरत जगह में जन्मे लवराज उन युवाओं के लिये एक उम्मीद हैं जो सपने देखते हैं. अपने सपनों के लिये लगातार मेहनत करने वालों के यह युवा एक प्रेरणा का स्त्रोत है. पहाड़ से उबड़-खाबड़ रहे उनके जीवन में कई ऐसे मौके आये जिनपर अक्सर युवा हार मान जाते हैं.

अपने संघर्षों पर कम बात करने वाले लवराज का लिखा एक गीत हाल ही में सुखविंदर सिंह ने अपनी आवाज में रिकार्ड किया है. नवाजुद्दीन सिद्दीकी की आने वाली फिल्म कुन फाया कुन के लिये लवराज गाना लिख चुके हैं. सलमान खान प्रोड्क्शन से आने वाली फिल्म अंतिम में भी लवराज के लिखे बोल गाये जायेंगे.

हिन्दी सिनेमा में पैर जमाने के बाद भी लवराज टोलिया कभी अपनी जड़ों को नहीं भूलते हैं. पिछले साल जहां उन्होंने अपने समाज और परिवेश पर आधारित बूंद गीत लिखा. बूंद के बोल और संगीत एक ख़ास किस्म के नोस्टाल्जिया में ले जाने में खूब सफ़ल रहे. इस साल भी लवराज अपना एक नया गीत लेकर आ रहे हैं बोल हैं घाम-पानी.

चांदनी एंटरप्राइजेज से रिलीज होने वाले इस गीत को लवराज ने पूरा अपने गांव में ही शूट करवाया है. इस गीत का टीज़र यूट्यूब पर लोगों को खूब पसंद आ रहा है. लवराज का यह गीत चांदनी एंटरप्राइजेज के यूट्यूब चैनल पर 3 जनवरी को रिलीज होने वाला है.
(Gham Pani New Kumaoni Song Teaser)

एक सामान्य पहाड़ी परिवार में जन्मे लड़के का अपने पहाड़ के प्रति यह जूनून देखते बनता है. उसका अपने लोक और संस्कृति के लिये जुड़ाव और लगाव उसके गीतों में खूब झलकता है. घाम पानी पर लवराज और उनकी टीम से बातचीत हम जल्द ही प्रकाशित करेंगे. फ़िलहाल घाम-पानी की पहली झलक यहां देखिये:

काफल ट्री डेस्क
(Gham Pani New Kumaoni Song Teaser)

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago