अल्मोड़ा के अतीव प्रतिभाशाली बैडमिन्टन खिलाड़ी लक्ष्य सेन की अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धियों के बारे में हम आपको समय समय पर बताते रहे हैं. पिछले महीने उन्होंने नीदरलैंड के अल्मेर में खेली जा रही डच ओपन वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीती थी जिसके फाइनल में उन्होंने जापान के युसुके ओनोदोरा को 15-21 21-14 21-15 से हराकर अपने जीवन का पहला बी डब्लू एफ खिताब अपने नाम किया था. (Lakshya Sen Bags Saarlolux Open)
अब उन्होंने बीते रविवार को जर्मनी में खेली जा रही सारलोरलक्स ओपन का खिताब जीत कर उत्तराखंड के गौरव को बढ़ाया है. इस बार फाइनल मुकाबले में उनके सामने चीन के वेंग होंग यांग थे. इस रोमांचक मुकाबले में 59 मिनट के कड़े संघर्ष के बाद लक्ष्य ने वेंग को 17-21 21-18 21-16 से परास्त किया. यह इस सीजन में उनका लगातार तीसरा खिताब है.
प्रतिष्ठित सारलोरलक्स ओपन भी डच ओपन की भाँति बी डब्लू एफ वर्ल्ड टूर सुपर 100 टूर्नामेंट है.
विश्व में फिलहाल 72वें स्थान पर काबिज लक्ष्य ने पिछले महीने बेल्जियन ओपन जीता था. उसके पहले वे पोलिश ओपन के फाइनल में पहुंचे थे. इसके अलावा उन्होंने एशियन जूनियर चैम्पियनशिप भी जीती थी. (Lakshya Sen Bags Saarlolux Open)
इस युवा बैडमिंटन खिलाड़ी ने इंडोनेशिया के जकार्ता में एशियाई जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रचा था. लक्ष्य की वह जीत इस मायने में खास थी कि उन्होंने 53 साल बाद भारत को इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक दिलाया. बता दें कि इससे पहले 1965 में भारत के गौतम ठक्कर ने स्वर्ण पदक जीतने में कामयाबी हासिल की थी.
अल्मोड़ा में उनके परिवार ने अकेले अपने कन्धों पर पिछले कोई पांच दशकों से बैडमिन्टन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का भार उठाया हुआ है.
उनके पिता डी. के. सेन तथा उनके दादा चन्द्रलाल सेन खुद मशहूर खिलाड़ी रहे हैं. लक्ष्य के बड़े भाई चिराग पहले से ही दुनिया भर में अपने खेल से झंडे गाड़ते आ रहे हैं. (Lakshya Sen Bags Saarlolux Open)
काफल ट्री में लक्ष्य के परिवार और उसकी उपलब्धियों को लेकर एकाधिक बार आलेख छपे जा चुके हैं. इन आलेखों को पढने के लिए इन लिंक्स पर जाया जा सकता है:
यूथ ओलंपिक गेम्स: अर्जेंटीना में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे उत्तराखंड के लक्ष्य सेन
चन्द्रलाल सेन जिनके पोते आज विश्व चैम्पियन हैं
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