भगवान आशुतोष के बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट आज भैयादूज के पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. (Kedarnath doors closed for winter)
बाबा की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली केदारनाथ से ऊखीमठ के लिए रवाना हो गई है, जो 31 अक्टूबर को यहां पहुंचेगी. जिसके बाद विधिवत बाबा केदार की पूजा-अर्चना शुरू की जाएगी.
आज सुबह करीब 8:30 बजे केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये. इस दौरान मुख्य रावल केदार लिंग महाराज द्वारा बाबा केदार के स्वयंभू लिंग को अनेक पूजार्थ सामाग्रियों से समाधि दी गई. जिसके बाद बाबा केदार के द्वार बंद किये गए. वहीं बाबा की पंचमुखी मूर्ति को चांदी की डोली में रखा गया और डोली ने मंदिर की तीन परिक्रमा पूरी की . (Kedarnath doors closed for winter)
डोली हजारों श्रद्धालुओं के जयकारों और आर्मी बैंड की मधुर धुनों के साथ शीतकालीन गददीस्थल के लिए रवाना हुई.
बाबा की डोली रुद्रा प्वाइंट, लिनचोली, रामबाड़ा, भीमबली, जंगलचट्टी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग में भक्तों को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी. जिसके बाद कल गुप्तकाशी और 31 अक्टूबर को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी. जहां पर बाबा केदार की शीतकाल के छह माह की पूजा-अर्चना विधिवत शुरू की जाएगी.
बीते वर्ष की तुलना में इस बार की केदारनाथ यात्रा प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण रही. दस लाख के करीब रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्री इस बार बाबा केदार के दर्शनों को धाम पहुंचे. वहीं आज बाबा केदार के कपाट बंद होने पर हज़ारों भक्त केदारपुरी मे उपस्थित रहे.
यह लेख गुप्तकाशी, रुद्रप्रयाग से कैलास नेगी द्वारा भेजा गया है.
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