(हल्द्वानी में नुक्कड़ नाटक करते हुए जसपाल शर्मा ने एक्टिंग कैरियर की शुरुआत की, फिर थिएटर करते हुए ‘तलवार’ से हिंदी सिनेमा की पारी. हिंदी मीडियम, टॉयलेट : एक प्रेम कथा, कुलदीप पटवाल, बियोंड द क्लाउड्स, सोन चिड़िया, म्यूजिक टीचर, भारत, हाउस अरेस्ट, छपाक जैसी फ़िल्मों समेत कई धारावाहिकों, वेब सीरीज और शार्ट मूवीज में अभिनय कर चुके जसपाल शर्मा से सुधीर कुमार की बातचीत के कुछ टुकड़े पेश हैं.)
(Jaspal Sharma Haldwani to Bollywood)
जसपाल शर्मा का परिवार मूल रूप से कौसानी का है. पिता फ़ौज में थे तो देश के अलग-अलग हिस्सों में रहे. जसपाल शर्मा का जन्म हल्द्वानी में हुआ. शुरुआती पढ़ाई-लिखाई भी हल्द्वानी में ही हुई— महात्मा गांधी इंटर कॉलेज से 12वीं तक की पढ़ाई की और ग्रेजुएशन एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी से.
कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही पहले हल्द्वानी क़स्बे में ही मानव विकास सेवा संस्थान के साथ नुक्कड़ नाटक किये, फिर अरविंद अग्रवाल के थिएटर ग्रुप अम्बर में शामिल हो गए. उस समय हल्द्वानी में मंचीय गतिविधियों के नाम पर अमूमन रामलीला और कृष्ण लीला ही हुआ करती थी. पर्वतीय कला केंद्र द्वारा साल में एक दफा पर्वतीय उत्थान मंच में ‘बाला गोरिया का मंचन किया जाता था. अनिल सनवाल का थियेटर ग्रुप निहारिका भी कुछेक नाटक किया करता था. अरविंद अग्रवाल, नवीन पाण्डे ‘तन्नू भाई’ जसपाल शर्मा वगैरह ने बातचीत करने के बाद तय किया कि हल्द्वानी में साल भर मंचीय गतिविधियाँ की जाएँ, बड़े नाटकों का बीड़ा उठाया जाए. इस तरह ‘कोर्ट मार्शल’ नाटक के मंचन की पृष्ठभूमि तैयार हुई. नाटक तैयार हुआ और रामलीला मैदान में इसका सफल मंचन दर्शकों के बीच खूब लोकप्रिय भी हुआ. बाजार के व्यापारियों के प्रोत्साहन ने बीसेक साल के जसपाल के मन में थियेटर करने का जोश बनाये रखा. इसके बाद ‘एक और द्रोणाचार्य, ‘गुड बाय स्वामी’ का मंचन भी किया गया.
कोर्ट मार्शल की सफलता ने थियेटर के इन रसिकों का मनोबल बढ़ाया. हल्द्वानी में बाकायदा एक नाट्य उत्सव आयोजित करने का निश्चय किया गया, जहां कम-से-कम उत्तर प्रदेश के सभी थियेटर ग्रुप अपने नाटक लेकर आयें. तब उत्तराखण्ड का अलग राज्य के रूप में गठन नहीं हुआ था यह उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था. इस तरह साल 1999 में हल्द्वानी का पहला नाट्य महोत्सव संपन्न हुआ. इस समारोह में ‘कबीरा खड़ा बाजार में,’ ‘तीन एकांत,’ ‘अष्टावक्र,’ जैसे बड़े नाटकों का मंचन हुआ. जसपाल शर्मा को ‘एक और द्रोणाचार्य’ में अभिनय के लिए समारोह का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के ख़िताब से नवाज़ा आगे. इस समारोह में जसपाल की मुलाक़ात इदरीश मलिक से हुई जो इस नाट्य समारोह के निर्णायक मंडल में थे. इदरीश मलिक ने जसपाल को नैनीताल में थियेटर गतिविधियाँ फिर से शुरू करने के अपने इरादे के बारे में बताया.
जल्द ही जसपाल शर्मा अपने थिएटर जीवन के अगले पड़ाव पर नैनीताल जा कर इदरीश मालिक के थिएटर ग्रुप ‘मंच’ का हिस्सा हो गए. यहां जसपाल ने ‘मंच’ के साथ कई नाटक किये— ‘नाद,’ ‘कंजूस,’ ‘बिच्छू’ आदि. ये नाटक एक कड़ी में उस दौरान किये जाते थे जब नैनीताल में सैलानियों की भी आमद हुआ करती थी. इस तरह इन नाट्य ग्रुपों को स्थानीय लोगों के साथ सैलानियों के रूप में ऐसे दर्शक भी मिल जाया करते जिन्हें टिकट खरीदकर नाटक देखने में गुरेज नहीं था. शैले हॉल में नाटकों के ये आयोजन हफ़्तों तक चला करते. नैनीताल में थिएटर करते हुए उन्हें दिल्ली, मुम्बई की थिएटर, सिनेमा जैसी गतिविधियों के बारे में पता लगा.
इसके बाद जसपाल दिल्ली आ गए. उस दौर में हल्द्वानी जैसे कस्बों के युवा बहुत ज्यादा कैरियर ओरिएंटेड नहीं हुआ करते थी. बस यूं ही कुछ करते-कराते वे किसी एक दिन अपने कैरियर को चुन लिया करते. जसपाल भी अनजाने ही अभिनय को अपना कैरियर बनाने की दिशा में बढ़ते जा रहे थे. जसपाल थियेटर से मिलने वाले मामूली पैसों के अलावा भी छोटे-मोटे कामों को करते हुए ख़ुद का खर्च निकाल लिया करते थे. थिएटर करते हुए ही उन्होंने हल्द्वानी में प्याऊ, एसटीडी बूथ वगैरह में नौकरियां की. इसी वजह से घर से उन्हें किसी तरह के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा.
जसपाल ने दिल्ली आने का फ़ैसला इस गरज से भी किया था कि वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में दाखिले के लिए अपनी किस्मत आजमाएंगे. दिल्ली पहुँचते ही उन्हें लेखन और अभिनय के काम मिलना शुरू हो गए. उस समय ‘यमुना एक्शन प्लान’ के लिए चलाये जाने वाले सरकारी शोज और अवेयरनेस कैम्पेन के लिए आयोजित नुक्कड़ नाटकों में उन्होंने जमकर काम किया. एक साल के इस सरकारी अभियान ने उन्हें दिल्ली में जड़ें जमाने का बढ़िया मौका दिया. उन्होंने कई अन्य सरकारी अभियानों के लिए नुक्कड़ नाटक करने के साथ-साथ रेडियो के लिए भी काम किया.
इसके बाद जसपाल को नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी के साथ ‘कथा एक कंस की’ नाटक में काम करने का मौका भी मिला. 2010 में जब गुडगाँव में ‘किंगडम ऑफ ड्रीम्स’ की शुरुआत हुई तो जसपाल एक अभिनेता के तौर पर इस से जुड़ गए. जसपाल यहां के चर्चित शो ‘झुमरू’ के अहम किरदार बने. अगले दस साल तक वे किंगडम ऑफ ड्रीम्स से जुड़े रहे.
इसी दौरान 2015 में उन्हें इरफ़ान के साथ ‘तलवार’ फ़िल्म में अभिनय का मौका मिला. हालांकि इस से पहले जसपाल दीपा मेहता की फ़िल्म ‘कुकिंग विद स्टेला’ में अभिनय कर चुके थे लेकिन यह फिल्म भारत में रिलीज नहीं हुई थी. तलवार में जसपाल के अभिनय ने उन्हें दर्शकों और फिल्मकारों के बीच चर्चा में ला दिया. अभिनेता के रूप में शुरुआत करने के साथ ही जसपाल के जहन में सिनेमा करने की ललक हमेशा से ही थी. तलवार ने उन्हें हिंदी सिनेमा में उड़ान दी. अब उनके पास ऑडिशन के लिए कॉल आने लगे. इंडस्ट्री में काम हासिल कर पाने की उनकी यात्रा को तलवार ने थोड़ा आसान बना दिया.
उसके बाद जसपाल शर्मा ने हिंदी मीडियम, टॉयलेट : एक प्रेम कथा, कुलदीप पटवाल, बियोंड द क्लाउड्स, सोन चिड़िया, म्यूजिक टीचर, भारत, हाउस अरेस्ट, छपाक जैसी फिल्मों में अदाकरी की. फ़िल्मों के अलावा जसपाल शर्मा धारावाहिकों— पति पत्नी और वो, ब्रेथ इनटू द शेडोज, इंडियन सर्कस, ए सिंपल मर्डर और एसपिरेंट में विभिन्न भूमिकाओं में दिखाई दिए. शार्ट मूवीज— द रेपिस्ट, पाश, सॉरी भाई साहब, नूर में भी आप जसपाल को केन्द्रीय भूमिकाओं में देख सकते हैं.
जल्द ही वेब सीरीज ट्रायल बाई फायर, फ़िल्म दिल्ली डार्क में जसपाल अभिनय करते दिखेंगे. इसके अलावा जसपाल शर्मा कुछ वेब सीरीज के लिए पटकथा लेखन भी कर रहे हैं. साल के आखिर तक उनका पहाड़ की पृष्ठभूमि पर लिखा एक उपन्यास भी प्रकाशित होने वाला है.
जसपाल शर्मा हल्द्वानी के एक सामान्य परिवार के पांच बच्चों में सबसे छोटे थे. सिनेमा के शौक़ीन अपने माता-पिता के साथ हर सप्ताहांत में लक्ष्मी सिनेमाघर में फ़िल्में देखते हुए उनका बचपन गुजरा. फ़िल्मों की घुट्टी पीते हुए ऐसा चस्का लगा कि गोविंदा और मिथुन चक्रवर्ती बनने के ख़्वाब पलना शुरू हो गए. फिर सिनेमा, थिएटर का शऊर आया तो इरफ़ान खान के दीवाने हो चले. सिनेमा में अभिनय का मौका भी मिला तो इरफ़ान के ही साथ.
जसपाल शर्मा के सफ़र में छोटे क़स्बे के बड़े इरादों वाले ऐसे शख़्स की कहानी है जिसके बुलंद इरादे हर मंजिल को आसान बना देते हैं. दिल्ली, मुम्बई की दुनिया में भी पहाड़ जसपाल के इरादों को मजबूत बनाते हैं और विनम्र भी. (Jaspal Sharma Haldwani to Bollywood)
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