पिछले एक पखवाड़े से भी लम्बे समय से नैनीताल में रुक-रुक कर काफी बारिश होती रही है और झील लबालब भर चुकी है. ऐसे में नैनीताल की ऐतिहासिक मालरोड पर खतरा बढ़ता जा रहा है.
नैनीताल में लोअर मॉल रोड के एक बड़े हिस्से को झील में डूबे तकरीबन दो सप्ताह बीत चुकने के बाद अंततः नुकसान और मरम्मत कार्यों का जायजा लेने विशेषज्ञों की एक टीम नैनीताल पहुँची. टीम में प्रदेश के डिजास्टर मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर के अलावा तीन बड़े संस्थानों –वाडिया इंस्टीटयूट ऑफ़ हिमालयन टेक्नोलॉजी और सेन्ट्रल बिल्डिंग रिसर्च इन्स्टीट्यूट और इन्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिमोट सेंसिंग के अधिकारी शामिल हैं.
देश के सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में गिने जाने वाले नैनीताल में वर्ष भर पर्यटकों की आवाजाही रहती है जिसके कारण ट्रैफिक का प्रबंधन नगर की सबसे बड़ी समस्या बन चुका है. गर्मियों के पर्यटक सीजन में मुख्य माल रोड और लोअर माल रोड पर जाम लगना आम हो चुका है.
फिलहाल प्रशासन ने एहतियात के तौर पर लोअर माल रोड पर गाड़ियों का आवागमन बंद करवा दिया है और भू कटाव वाली जगह पर जुगाड़ के तौर पर बालू के कट्टे धर दिए हैं.
दौरा करने आई टीम के मुखिया और डिजास्टर मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर के निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला ने पत्रकारों को बताया कि माल रोड की स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाएगी और भू कटाव वाले क्षेत्र की मरम्मत के लिए समाधान सुझाए जाएंगे. उन्होंने आगे कहा कि इस काम में समय लगेगा.
इस बीच मामले को संज्ञान में लेते हुए उच्च न्यायालय ने जिला प्रशासन से मरम्मत कार्यों में हो रही देर के लिए स्पष्टीकरण मांगा जिसके उत्तर में जिलाधिकारी, नैनीताल ने कहा – “आपदा सम्बंधित कार्यों के निष्पादन हेतु नियमानुसार मुझे दो लाख रुपये खर्च करने का अधिकार है. इसलिए हमने प्रशासन से और बजट की मांग की है. लेकिन इस कार्य में और समय लग सकता है.”
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