कॉलम

सूचना क्रांति की टूंटूं

सूचना क्रांति हो चुकी है. सामने ख़ाली बैठे आदमी को फोन लगाइए तो आवाज़ आती है कि सामने वाला उपलब्ध नहीं है या व्यस्त है. फोन लग जाता है तो अगले के हेलो कहने के साथ ही टूंटूं की ध्वनि हड़काने लगती है कि बेटे कुछ कामधाम करोगे या ऐसे ही फोन पे टैम खराब करोगे.

बल्दियाखान रहने वाले गोबरधन कका को फोन लगाओ तो अमेरिका-यूरोप वाली रिंगटोन बजती है. डर लगता है कि कहीं बिचारों ने फोन उठा लिया तो विदेश वाली रोमिंग न लग जाए. मगर आपके सोचने से पहले ही वे फोन उठा लेते हैं और कहते हैं – “ज्योलीकोट बजार में भुट्टे खरीद रहा था तो फोन सुनाई नहीं दिया!” पुनः टूंटूं ध्वनि! मुझे बहुत बाद में पता लगा कि इसे ही कॉल ड्रॉप कहते हैं. सोनकिया जी को शाम छः से नौ के बीच किसी कीमत पर फोन नहीं लग सकता. अनिल का फोन दोपहर तीन से सात तक बंद बताता है. वाट्सप पर वीडियो कॉल हो जाता है लेकिन सामने वाले की सूरत ऐसी दिखाई देती है जैसे वह कोमा में जाने ही वाला हो. कमलेश कहता है फोर्जी के चक्कर में ऐसा हो रहा है क्योंकि फाइवजी आने वाला है.

फेसबुक पर पोस्ट शेयर करो तो कैप्शन और फ़ोटो गायब हो जाता है. गूगल मेल खोलो तो संदेसा आता है कि आपके अकाउंट में संदेहास्पद एक्टिविटी चल रही है. यूट्यूब में तीनमुखी नाग का वीडियो अलबत्ता धड़ल्ले से चलता है लेकिन काम की कोई फाइल डाउनलोड करनी हो तो स्क्रीन पर सुदर्शन चक्र अनवरत घूमता जाता है. कम्पूटर वाले पालीवाल जी कहते हैं कम्पूटर झूठ बोलता है और इण्डिया का इंटरनेट घुस चुका है.

सरकारी लैंडलाइन की ओएफसी में पानी घुस चुका है. नेट चलता है बात नहीं हो सकती. रिसीवर में नागों के फुंफकारने की आवाज़ आती रहती है आप हेलो हेलो कहते रहते हैं. लाइनमैन अनुभवी आदमी है कहता है सरकार बिक गयी है हमें नौकरी से निकालना चाहती है आप आइडिया का सिम ले लो.

बिट्टू गुरु आधा दर्ज़न कम्पनियों के डाँगल जेब में दाबे शहर भर में घूमते फिरते हैं. क्या है कि उनकी नई-नई गलफ्रेंड बनी है सो हर समय चैटिंग करना जरूरी रहता है. हीरानगर में एयरटेल सही चलता है तो दमुआदढूंगा में रिलायंस. काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर आइडिया भुस हो जाता है और दोगांव में सिरफ़ बीएसएनएल चलता है.

कमलेश कहता है आपका नेट पर बहुत काम रहता है आप एयरकनेक्ट लगवा लो. पांच एमबी की स्पीड आएगी. मल्लब फास्ट! एयरकनेक्ट वाला लौंडा कहता है आपके यहाँ छतरी से बढ़िया सिग्नल आएँगे. मैं कहता हूँ ओएफसी में लगा के दो. लौंडा कहता है आपने मोहल्ले में बरसात बहुत होती है ओएफसी में पानी घुस जाता है. मैं कहता हूँ – टूंटूं टूंटूं टूंटूं!

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