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भारतीय विवाह एंथम सांग ‘जूली-जूली’

जनरेटर की भट-भटाट के आगे किसी भी प्रकार का रसास्वादन न मिल पाने के कारण दूल्हे के भाई के दोस्त पैरों को लाश की तरह घसीटते चल रहे हैं. अगले दस मीटर में अंधेरा छाया है. इस अंधेरे में पचास से पांच तक की उम्र के कुछ लोग मोटी रस्सी से जनरेटर को संभालते चल रहे हैं. मौहल्ले भर के शरीफ़ आदमी इसी अंधेरे के दांये-बांये डिस्पोजल में अपना पैग संभाल रहे हैं.

स्टील का एक डिब्बा जो भोंपू से सजा है, बारात में सबसे आगे है. दिवाली पर आंगन में लगे सूखे पेड़ में लिपटी बिजली की माला की तरह कुछ लोगों ने अपने सिर पर रोशनी थाम सड़क को चमका दिया है. रोशनी के बीच लोग इस कदर नाच रहे हैं जैसे कि दुनिया की आखिरी या पहली शादी यही है. इस भीड़ के पीछे गेंदे के फूलों से सजी सफ़ेद कार में बैठा दूल्हा पण्डित के ज्ञान से चट चुका है और बाहर घोड़ी में बैठकर मौज लेते अपने ही भतीजे-भांजों को मन में गालियां बक रहा है. बैण्ड मास्टर हलो–हलो … चैक-चैक … वन टू थ्री … जूली – जूली जौनी का दिल तूझपे (तुझ पे) आया जूली गाने पर भुस हो चुके फूफाजी को नचा रहा है.

हलो–हलो-चैक-चैक संग के साथ-साथ तुम चली जाओगी तो मेरा क्या होगा जैसे गीत पर जनता से भांगड़ा करवाने का माद्दा रखने वाला बैण्ड मास्टर, बैन्ड वालों का ही नहीं पूरी बारात का नायक है.

हमेशा गाली खाने वालों की सूची में पहले और दूसरे स्थान पर इंटर-हाईस्कूल के मास्टरों और पुलिस वालों के बीच संघर्ष रहता है. अलग-अलग सीजन में इनके स्थान को हमेशा खतरा बना रहता है. हालिया रैंकिंग में यह खतरा बारात में बैन्ड वालों के नायक बैण्ड मास्टर से है. बैण्ड मास्टर बारात का स्टेबिलाइजर होता है. बारात का पूरा नियंत्रण उसी का हाथ में होता है. बारात की गति कम या ज्यादा करने के लिये वह अलग-अलग तरीकों का उपयोग करता है.

अपने इस काम में बैण्ड मास्टर को सबसे कड़ी चुनौती दूल्हे के ख़ास दोस्त से मिलती है. जो दूल्हे की कार के बोनट पर अपनी कमसिन बयालीस इंची कमर टिकाये पाया जाता है. ख़ास दोस्त दूल्हे के कॉलेज और बचपन के उन दोस्तों के हिस्से की शराब गटक चुका होता है जो पिछले दो सालों से हर शराब पार्टी में इस बात की कसम खाते थे कि शादी के दिन हम बोनट पर नाचेंगे. लेकिन आज गायब हैं.

नायक बैण्ड मास्टर ख़ास दोस्त को नियंत्रित करने ले लिये शुरुआत में हलो-हलो-वन-टू-वन… लेट्ज… भंगड़ा बजवाता है. इसके साथ ही वह ख़ास दोस्त के भीतर जा चुकी शराब की मात्रा का आकलन कर लेता है. इसके बाद नायक बैण्ड मास्टर अगले कुछ मिनटों के लिये ख़ास दोस्त को मुख्य भूमिका देने का छद्म रचता है. परिणामस्वरूप ख़ास दोस्त अब बोनट में पीठ के सहारे पूरा लेट जाता है.

इसी बीच दूल्हे का भाई अपनी दो उंगलियों के बीच बीस रुपये का करारा नोट फसाता हुआ हाथों को लहराता नजर आता है. उसने नोट का परचम ऊपर किया ही होता है कि भांगड़े के कारण रेस्ट में चल रहा पीपरी वाला नोट उड़ा ले जाता है. अगली बार पूरी सावधानी के साथ मौहल्ले भर की शादियों में दस रुपये का नोट घुमाने के अपने सम्पूर्ण अनुभव को समेट कर वह बीस रुपये का एक और करारा नोट निकालता है. अनुभव काम आता है और आकाश में बीस के करारे नोट का परचम लहर जाता है. बीस के करारे नोट का परचम लहराते हुये वह नायक बैण्ड मास्टर की ओर बढ़ा जाता है जबकि नायक बैण्ड मास्टर पूरी तन्मयता से दूल्हे के ख़ास दोस्त को ख़ास महसूस कराने में अति व्यस्त रहता है. अपनी इस प्रकिया में होय… होय… बुररररर…रा… के कर्कश उद्घोष के साथ नायक बैण्ड मास्टर ख़ास दोस्त को पूरे साढ़े सत्ताईस मीटर आगे ले आ चुका होता है.

नायक बैण्ड मास्टर का व्यस्त कार्यक्रम तब तक चलता है जब तक दूल्हे का भाई भारी मन से जेब सौ का नोट आकाश की ओर नहीं लहराता है. अब शरू होता है ईस्टॉप – ईस्टॉप… इस्पेशल गेस्ट ओन्ली… वन-टू-थ्री आज मेरे यार की शादी है वन-टू-थ्री.. हिटे… आज मेरे यार की शादी है… यार की शादी है… मेरे दिलदार की शादी है…

असुरों को हिला सकने वाले यह सुर दुल्हे के ख़ास दोस्त के कान में बिजली से दौड़ते हैं. अगले तीन मिनट में कक्षा एक से लेकर आफिस पार्टी तक सीखे और देखे हुये ऐसे नृत्य का प्रदर्शन करता है कि वह बोनट से सौ मीटर आगे जा चुका होता है. तीन मिनट पहले तक गले की उपरी घिग्घी तक महसूस की जाने वाली उसकी शराब अब उसे छाती की निचली हड्डी को छूती हुई महसूस होती है. जिसे फिर से गले की घिग्घी तक भरने वह अँधेरे में हो लेता है.

बैण्ड मास्टर की इस अपार सफ़लता की चर्चा आने वाले कई दिनों तक सार्वजनिक समारोहों से लेकर लोगों के निजी बैडरूम तक की जाती है. अपनी विजय के उद्घोष के रूप में नायक बैण्ड मास्टर एक बार फिर अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भारतीय विवाह एंथम सांग जूली-जूली बजाता है.

लोगों को लगता है कि नायक बैण्ड मास्टर का यह चमत्कार यहीं समाप्त होगा लेकिन नायक बैण्ड मास्टर के लिये यह शुरुआत थी. इसके बाद वह बारातियों के ठीक बीच में एंट्री लेता है और ईस्टॉप – ईस्टॉप… बूटी स्पेसल… के साथ कानछेदक काकसुर राग में शुरू होता है – हलो… हलो… चैक-चैक-वन-टू-थ्री… ढप्पली वा…ल्ले… ढपली बज्जा.. के साथ बारात में शामिल महिलाओं का दिल मोह लेता है.

नायक बैण्ड मास्टर की क्षमता को कम आंकते हुये कई लोगों को लगता है कि यह उसका सर्वश्रेष्ठ है. लेकिन असली चमत्कार अभी बाकी है. आठ सौ मीटर की दूरी को करीब आठ किमी की बना देने वाले लौंडे-लफाड़ों से त्रस्त, अपने भीतर के देवानन्द, शम्मी कपूर, राज कपूर को समेटे चल रही 50 से 70 की उमर वाली एक पूरी की पूरी जमात इस बारात में रत्न का आभूषण है. जिनकी नब्ज पिछले कई सालों से बैण्ड मास्टर पकड़े हुये है.
ईस्टॉप–ईस्टॉप – हलो – हलो – चैक – चैक – फ़ादर – इसपेसल – वन–टू–थ्री… ए मेरी जौहरी जब्बी… तूझे मालूम नही तू अभी तक है हंसी और मैं जवां तुज्पे कुरबान मेरी जां मेरी जां होये… लेट्स चेन्ज हलो–हलो-चैक–चैक… नैनिताल की माधूरी हिट मेरा दगाड़ा घूम याली धारचूला लैन माँ… हिट हो…

– गिरीश लोहनी

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Girish Lohani

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