सर्गेई लोज़नित्सा द्वारा निर्देशित फिल्म डोनबास ने 49 वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में प्रतिष्ठित स्वर्ण मयूर पुरस्कार जीता है. यह महोत्सव 28 नवंबर, 2018 को गोवा में संपन्न हुआ है. डोनबास फिल्म पूर्वी यूक्रेन के एक क्षेत्र में हुए युद्ध की कहानी है जिसमें अलगाववादी गिरोहों द्वारा बड़े पैमाने पर हत्याओं और लूटपाट के साथ-साथ सशस्त्र संघर्ष को दर्शाया गया है. डोनबास के माध्यम से उत्सुक रोमांचों की श्रृंखला को दर्शाया गया है. यह फिल्म एक क्षेत्र या राजनीतिक व्यवस्था की कहानी नहीं है बल्कि ऐसे विश्व की कहानी है जो सच्चाई के बाद नकली पहचान की दुनिया में खो गयी है. डोनबास सर्वेश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए यूक्रेन द्वारा आधिकारिक रूप से भेजी गयी फिल्म है. केन्स फिल्म महोत्सव 2018 में इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ निदेशक के लिए ‘यूएन सर्टेन रिगार्ड’ जीता है.
लिजो जोस पेलिसरी ने अपनी 2018 की फिल्म ‘ई.मा.यू’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निदेशक का पुरस्कार जीता है. यह फिल्म मृत्यु पर एक आश्चर्यजनक व्यंग्य है और यह मानव जीवन को किस तरह प्रभावित करती है इस फिल्म में दर्शाया गया है. केरल के एक तटीय चेलानम गांव की कहानी पर आधारित ये फिल्म एक ऐसे बेटे की दुर्दशा को दर्शाती है जो अपने पिता के लिए एक अच्छे अंतिम संस्कार को करने की कोशिश करता है. उसके रास्ते में अप्रत्याशित रूप से अनेक बाधा और विभिन्न वर्गों से प्रतिक्रियायें आती हैं.
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष) का पुरस्कार चेम्बन विनोद को ‘ईशी’ की ई.मा.यू. में की गयी भूमिका के लिए दिया गया है. अनास्ताशिया पस्तोविट को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला. सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार लारियासा फिल्म में की गयी भूमिका के लिए अनास्ताशिया पस्तोविट को प्रदान किया. उन्होंने युक्रेनियन फिल्म ‘वैन दा ट्री फॉल’ में एक किशोर लड़की की भूमिका के लिए प्रदान किया गया है.
मिल्को लाज़रोव की फिल्म ‘आगा’ को विशेष जूरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. यह फिल्म यकुटिया के एक बुजुर्ग दंपत्ति सेडना और नानूक की कहानी पर केंद्रित है. जिन्हे अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
फिलीपीन्स के अल्बर्तो मॉन्तेरास II को उनकी पहली फिल्म ‘रेस्पेतो’ के लिए बेहतरीन फीचर फिल्म निर्देशक का पुरस्कार प्रदान किया गया. प्रवीण मोरछाले द्वारा निर्देशित ‘वॉकिंग विद दी विंड’ ने आईसीएफटी – यूनेस्को गांधी पदक जीता, जिसे इंटरनेशनल काउंसिल फॉर फिल्म, टेलीविजन एंड ऑडियो-विजुअल कम्यूनिकेशन, पेरिस और यूनेस्को ने शुरू किया है.
‘वॉकिंग विद दी विंड’ में हिमालय के इलाके के एक 10 वर्षीय बालक की कहानी है, जो गलती से अपने दोस्त के स्कूल की कुर्सी तोड़ देता है. पहाड़ी इलाके में स्कूल जाने के लिए वह 7 किलोमीटर का सफर रोज तय करता है. जब वह अपने गांव में कुर्सी लाने का फैसला करता है, तो यह सफर उसके लिए भारी मुसीबत और चुनौती बन जाता है.
बियेट्रिज सीगनर द्वारा निर्देशित स्पेनी फिल्म ‘लॉस साइलेंसियोस’का आईसीएफटी –यूनेस्को गांधी पदक वर्ग के तहत विशेष उल्लेख किया गया.
हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता, लेखक, पटकथा लेखक और संवाद लेखक सलीम खान को सिनेमा में उनके जीवनपर्यंत योगदान के लिए आईएफएफआई-2018 विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया. सलीम खान ने 70 के दशक में भारतीय सिनेमा में क्रांति कर दी थी. उन्होंने बॉलीवुड फार्मूला को आमूल बदल दिया था और बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर स्वरूप को नई दिशा दी थी. उन्होंने मसाला फिल्म और डाकू प्रधान फिल्मों जैसी नई विधा विकसित की.
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