Related Articles

1 Comments

  1. कमल लखेड़ा

    जब न्याय कछुआ गति को छोड़ केंचुआ गति प्राप्त कर ले, तब जनाक्रोश को हीरोपंती समर्थक नहीं कहा जा सकता । न्याय में देरी, न्याय को नकारने के सामान है । सही कहूं तो दीमकों ने इस देश के शासन – प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था की चौखट को पूरी तरह से चाट दिया है । जनता उगते सूरज को प्रणाम करने में खुद को सुरक्षित महसूस करती है, फ़िर सवाल कौन करेगा !!! और गर किसी ने ऐसी जुर्रत की भी तो, जवाब कोई क्योंकर देगा ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2024©Kafal Tree. All rights reserved.
Developed by Kafal Tree Foundation