डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के परिचय की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वर्तमान में भारत के मानव संसाधन विकास मंत्री हैं सामान्य शब्दों में कहें तो भारत में वर्तमान शिक्षा मंत्री हैं.
निशंक उत्तराखंड से चुने गये पांच सांसदों में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे हैं. उन्होंने 40 से अधिक किताबें लिखी हैं. साहित्य की शायद ही कोई विधा नहीं जिसको निशंक ने न छुआ हो. जाहिर है ऐसे व्यक्ति का भारत का शिक्षा मंत्री बनना सभी के लिये गर्व की बात है.
निशंक के शिक्षा मंत्री बनते ही एक उड़ी थी कि उनकी डॉक्टरेट की डिग्री फर्जी है. अब जब देश में प्रधानमंत्री की डिग्री फर्जी होने की हवा उड़ सकती है तो शिक्षामंत्री की भी उड़ सकती है.
निशंक के पास ज्ञान का कितना विशद भंडार है इसका परिचय वे बार-बार देते आये हैं. कल ही में उन्होंने आई.आई.टी. खड़गपुर में अपने ज्ञान के भंडार से लोगों को एक अद्भुत ज्ञान दिया, उन्होंने कहा:
हमारे पास कैसे इंजीनयर थे! क्या यदि आज राम सेतु की बात की जाय तो राम सेतु को किसी अमेरिका के या ब्रिटेन के या जर्मनी के इंजीनयर ने आकर बनाया है? राम सेतु हमारे इंजीनयरों ने बनाया है जिसको देखकरके दुनिया भी आश्चर्यचकित है.
इसके बाद उन्होंने वहां मौजूद लोगों से पूछा भी क्या उनकी बात गलत है जाहिर है जब इतना बड़ा ज्ञानी आदमी सवाल करेगा तो आईआईटी के बच्चों और वहां पढ़ाने वाले प्रोफेसरों की हवा टाईट हो जानी हैं. शिक्षा मंत्री के सवाल पर पूरे हाल में सन्नाटा छा गया जिसे शिक्षामंत्री ने सहमति मान लिया.
निशंक देश के शिक्षा मंत्री हैं सो वह यहीं नहीं रुके उन्होंने आईआईटी के बच्चों और अध्यापकों के ज्ञान में इजाफा करते हुये बताया कि संस्कृत पूरे विश्व की पहली भाषा है. कुछ दिन पहले निशंक ने आईआईटी मुम्बई में लोगों का ज्ञानवर्धन करते हुये कहा था कि नासा भी कह रहा है निकट भविष्य में यदि बोलचाल की भाषा का कंप्यूटर जिन्दा रहेगा तो केवल संस्कृत के बल पर ही रहेगा.
जब निशंक के इस अथाह ज्ञान भंडार के स्त्रोत की जांच की गयी तो पता चला यह वट्सएप्प में फारवर्ड होने वाले कुछ मैसेज हैं. इनका तथ्यों से कुछ लेना-देना नहीं है. जैसे इस बात को किसी भी तरह प्रमाणित नहीं किया जा सकता कि विश्व की सबसे पुरानी भाषा कौन सी है. संस्कृत एक प्राचीन भाषा है लेकिन पहली भाषा नहीं है.
ऐसा नहीं है कि भारत सरकार के मंत्री वट्सएप्प के फोरवर्ड मैसेज के आधार पर भाषण नहीं देते लेकिन निशंक भारत के शिक्षा मंत्री हैं सो उनसे उम्मीद की जा सकती है कि वह वट्सएप्प यूनिवर्सिटी की बजाय किसी अच्छी यूनिवर्सिटी की किताबों का अध्ययन करें.
40 से अधिक किताब लिखने वाले भारत के शिक्षामंत्री को किताब पढ़ने का समय भी निकालना चाहिये. कम से कम एक किताब को पढ़ने का तो जरुर जिसे भारत का संविधान कहते हैं. पूरा संविधान पढ़ने का समय न भी हो तो दो मिनट निकालकर, अनुच्छेद 51 ‘ए’ जरुर पढ़ लेना चाहिये जो भारत के नागरिकों से उम्मीद करता है कि वे वैज्ञानिक सोच रखें और उसे बढ़ावा दें.
-काफल ट्री डेस्क
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4 Comments
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निशंक को चुना ही इस पद पर इसीलिये गया है क्योंकि वह एक बद्दिमाग इंसान है और उन्हे हां में हां मिलाने और तलवे चाटने में महारथ हासिल है।
Pratap
40 से अधिक किताबें लिखने वाला व्यक्ति ऐसी बातें सभा मे करेगा तो जाहिर है आलोचना उसे झेलनी पड़ेगी।
इस कृत्य से शायद भविष्य मे उत्तराखण्ड से बनने वाले मंत्रियो को भी इसी तर्ज पे आंका जाए।
Deepak Bhatt
तो आप ही बता दो विश्व की सबसे पुरानी भाषा कौन सी है ????
राजीव जोशी
उत्तराखण्ड के नाम और प्रतिभाओं के नाम पर पलीता लगाएंगे ये महाशय!