बीते दिन पर्यटन नगरी नैनीताल में ई-रिक्शे का संचालन शुरु हुआ. इसी के साथ नैनीताल में 175 सालों तक सवरियां ढोने वाला साईकिल रिक्शा इतिहास की बात हो गया. माल रोड में 2 आने से शुरू होकर 20 रूपये पर ख़त्म रिक्शे के किराये की बातें अब किस्सों और कहानियों में ही कही जायेंगी.
(History of Rickshaw in Nainital)
1846 में नैनीताल में जब अंग्रेज पर्यटन नगरी नैनीताल में बसने शुरु हुये तो उन्होंने सामन ढोने के लिये कुली घोड़े, और डांडी रखे साथ में माल रोड पर तल्लीताल से मल्ली ताल तक सवारियां ले जाने के लिये शुरुआत हुई हाथ रिक्शा की. नैनीताल ने हाथ रिक्शा, राम रथ से होते हुये साईकिल रिक्शा तक का सफ़र देखा.
(History of Rickshaw in Nainital)
इतिहासकार अजय रावत ने दैनिक हिन्दुस्तान अख़बार की एक रिपोर्ट में जिक्र किया है कि नैनीताल में पहला साईकिल रिक्शा 1942 में चला. स्थानीय प्रशासन द्वारा चलाये गये इस रिक्शे का किराया दो आना प्रति सवारी तय रखा गया था तब माल रोड पर साईकिल रिक्शा की सवारी शान की सवारी हुआ करती थी.
1970 के दशक में नैनीताल में हाथ रिक्शा का चलन लगभग बंद हो गया था. उसके बाद हाथ रिक्शा रेड़ी-सब्जी वालों या शोभायात्राओं के दौरान ही देखने को मिलता. बताया जाता है कि नैनीताल में माल रोड पर साईकिल रिक्शा की सवारी का लुल्फ़ दुनिया भर की जानीमानी शख्सियत ले चुकी है. इसमें पं. नेहरू, दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन से लेकर कादर खान जैसे नाम शामिल हैं.
–दैनिक हिन्दुस्तान में रवीन्द्र पांडे की रिपोर्ट के आधार पर
(History of Rickshaw in Nainital)
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