आज चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा का दिन है. आज के दिन से नवरात्रि शुरु होती है और हिन्दू नववर्ष भी मनाया जाता है. इसे विक्रम संवत या नव संवत्सर कहा जाता है.
संवत्सर 60 प्रकार के होते हैं. विक्रम संवत्सर में यह सभी संवत्सर शामिल होते हैं. विक्रम संवत्सर की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने 57 ईं.पू. की थी. पौराणिक मान्यता अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी अतः इसे नववर्ष के रूप में मनाया जाता है.
अलग-अलग नामों से जाना जाता है संवत्सर
महाराष्ट्र में इस दिन को गुड़ी पड़वा, गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे संवत्सर पड़वो कहते हैं तो कर्नाटक में इसे युगादि कहते हैं और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में उगादी कहते हैं. उत्तराखंड में यह दिन संवत्सर कहलाता है. गुड़ी का अर्थ विजय पताका से होता है. महाराष्ट्र में आज के दिन हर घर में गुड़ी अर्थात विजय पताका लगायी जाती है. यहां इन्हीं दिनों से नववर्ष की शुरुआत मानी जातो और मीठे पकवान बनाकर नये वर्ष की शुरुआत की जाती है.
घरों में पंचांग देखा जाता है
महाराष्ट्र में आज के दिन पुरन पोली मनाया जाता है. आज ही के दिन पंचांग पढ़ा जाता है. पंचांग हिन्दू कलैन्डर है. पंचांग पढ़कर ज्योतिष आने वाले वर्ष के विषय में बातते हैं. जिनका आने वाला साल भारी होता है उन्हें विभिन्न प्रकार के दान्य पुण्य के कार्य करने की सलाह दी जाती है.
सूर्य व चंद्रमा की गति पर आधारित है विक्रम संवत
विक्रम संवत में दिन, सप्ताह और महिने की गणना सूर्य व चंद्रमा की गति पर आधारित है. यह काल गणना अंग्रेजी कलैंडर से आधुनिक व विकसित मानी गयी है. इसमें सूर्य,चन्द्रमा और ग्रहों के साथ तारों के समूह को भी जोड़ा गया है जिन्हें नक्षत्र कहा जाता है. एक नक्षत्र चार तारा समूहों से मिलकर बनता है. कुल नक्षत्रों की संख्या 27 बताई गयी है. सवा दो नक्षत्रों का समूह मिलकर एक राशि का निर्माण करता है.
उत्तराखंड में नववर्ष
उत्तराखंड में नववर्ष के दिन गांव में पुरोहित आते हैं और संवत्सर सुनाते हैं. संवत्सर को सुनाने के बदले पुरोहित को गांव वाले दक्षिणा देते हैं. इसी दिन से नवरात्रि की शुरुआत भी होती है उत्तराखंड में कुछ स्थानों पर इस नवरात्रि के दिन भी हरेला रखा जाता है. इस दिन अधिकांश लोगों का उपवास होने के कारण रात्रि के समय ही पकवान बनाये जाते हैं.
हिंदू वर्ष के 60 संवत्सरों
1. बहुधान्य
2. विक्रम
3. भाव
4. प्रमोद
5. धाता
6. अंगिरा
7. श्रीमुख
8. शुक्ल
9. युवा
10. प्रजापति
11. ईश्वर
12. प्रभव
13. प्रमाथी
14. विभव
15. वृषप्रजा
16. चित्रभानु
17. सुभानु
18. तारण
19. पार्थिव
20. अव्यय
21. सर्वजीत
22. सर्वधारी
23. विरोध
24. विकृति
25. खर
26. नंदन
27. विजय
28. जय
29. मन्मथ
30. दुर्मुख
31. हेमलंबी
32. शुभकृत
33. विकारी
34. शार्वरी
35. प्लव
36. विलंबी
37. शोभकृत
38. क्रोधी
39. विश्वावसु
40. पराभव
41. प्ल्वंग
42. कीलक
43. सौम्य
44. साधारण
45. विरोधकृत
46. परिधावी
47. प्रमादी
48. आनंद
49. राक्षस
50. आनल
51. पिंगल
52. कालयुक्त
53. रूधिरोद्गारी
54. रौद्र
55. दुर्मति
56. दुन्दुभी
57. सिद्धार्थी
58. रक्ताक्षी
59. क्रोधन
60. क्षय
-काफल ट्री डेस्क
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