हर साल 14 नवंबर देश में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है लेकिन नेहरू केवल बच्चों के चाचा ही नहीं थे वो प्रकृति, विशेषकर हिमालय और भारतीय पहाड़ों के अनूठे प्रेमी भी थे. उनके लेखन, भाषण और खासकर उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ (The Discovery of India) के
कई अध्यायों में पहाड़, हिमालय और पहाड़ी जीवन का उल्लेख अत्यंत संवेदनशील भाषा में मिलता है.
(Himalaya and Nehru)
नेहरू ने हिमालय को केवल भारत की भौगोलिक पहचान नहीं माना, बल्कि उसे भारत की आत्मा और सभ्यता का रक्षक कहा. यही कारण है कि ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में जब भी वो भारत की आत्मा, उसके संघर्ष, उसके अतीत या उसकी संस्कृति की बात करते हैं, तो हिमालय एक प्रतीक के रूप में उभरकर आता है.
‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में हिमालय का उल्लेख — किन अध्यायों में मिलता है?
‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ कोई यात्रा-वृत्तांत नहीं, बल्कि भारत के इतिहास, संस्कृति और आत्मा की खोज है. इसलिए इसमें पहाड़ों का उल्लेख सीधे भूगोल के रूप में कम और आध्यात्मिक–ऐतिहासिक प्रतीक के रूप में अधिक है.
प्रमुख अध्याय जिनमें हिमालय या पहाड़ों का उल्लेख मिलता है:
यहाँ वह बताते हैं कि भारतीय सभ्यता की शुरुआत नदियों के किनारे भले हुई हो, लेकिन उसकी आध्यात्मिक ऊँचाई हिमालय से जुड़ी है. नेहरू स्पष्ट लिखते हैं कि— हिमालय केवल पर्वत नहीं, बल्कि भारत का प्रहरी है. ऋषियों का निवास, साधना का स्थल और भारतीय ज्ञान परंपरा का स्त्रोत है. कई धर्मों, विचारों और दार्शनिक आंदोलनों को पहाड़ों ने जन्म दिया.
प्राकृतिक भारत पर चर्चाएँ (The Variety and Unity of India)
इस अध्याय में नेहरू विविध भौगोलिक क्षेत्रों का वर्णन करते हैं, जिनमें उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर की पहाड़ी पट्टियों का जिक्र विशेष रूप से आता है. वो लिखते हैं कि पहाड़ भारत की “रीढ़” हैं. पर्वतीय क्षेत्रों ने भारत की राजनीतिक सीमाओं को भी गढ़ा. पहाड़ों ने भारत की संस्कृति को विविधता और गंभीरता दोनों दी.
(Himalaya and Nehru)
नेहरू और उत्तराखंड — एक भावनात्मक संबंध
भले ही नेहरू का उत्तराखंड से कोई सीधा राजनीतिक नाता न रहा हो, परन्तु पहाड़ों के प्रति उनका आकर्षण उन्हें बार-बार उत्तराखंड की ओर खींचता रहा. वो कुमाऊँ और गढ़वाल की पहाड़ियों की यात्रा पर कई बार गए. अल्मोड़ा और नैनीताल की सुंदरता पर उन्होंने विशेष लेखन भी किया. हिमालय को लेकर जो दर्शन उन्होंने ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में व्यक्त किया, उसमें
उत्तराखंड की पहाड़ियों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है क्योंकि यहीं उन्हें हिमालय का सबसे शांत, विशाल और आध्यात्मिक रूप दिखाई देता था.
नेहरू के लिए पहाड़ केवल प्रकृति नहीं, एक दर्शन थे नेहरू का पहाड़ों से रिश्ता केवल यात्राओं का नहीं था वह आंतरिक यात्रा का संबंध था. उनके लिए पहाड़ भारतीय संस्कृति की गहराई, राजनीति के बीच संतुलन, संघर्षों में शक्ति, और भारत की आध्यात्मिक धरोहर के जीवंत प्रतीक थे. इसलिए ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में जब भी भारत की आत्मा, संघर्ष, एकता, इतिहास या संस्कृति की बात होती है पहाड़ एक मौन उपस्थिति की तरह बार-बार सामने आते हैं.
नेहरू केवल भारत के पहले प्रधानमंत्री ही नहीं थे वो विचारक, प्रकृति-प्रेमी और हिमालय के अनन्य भक्त थे. उनके लेखन में पहाड़ों का जो सुंदर और गहरा वर्णन मिलता है, वह दर्शाता है कि नेहरू के लिए पहाड़ भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य का एक जीवंत प्रतीक थे. उनके जन्मदिन पर ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ के इन अंशों को याद करना हमें यह समझने में मदद करता है कि नेहरू के लिए भारत का अर्थ केवल भौगोलिक सीमा नहीं था बल्कि वह एक आध्यात्मिक चेतना थी, जिसे उन्होंने हिमालय की चोटी पर देखा.
(Himalaya and Nehru)
–मंजुल
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