उत्तराखण्ड में बुधवार को कोरोना से हुई मौतों के मामले में पुराने सभी रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए. पिछले 24 घंटे में 6054 नए मरीज मिले, 108 संक्रमितों की मौत हो गयी. हालाँकि 3485 मरीज ठीक होकर अपने घरों को भी लौट गए. (Corona in Uttarakhand)
राज्य में कोरोना की भयावह होती स्थिति के बीच हाईकोर्ट ने अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और सच्चिदानंद डबराल की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं—
निजी अस्पतालों और लैबों का तत्काल नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण कर इन्हें आरटीपीसीआर जांच में लगाया जाये.
तेजी से कोरोनाग्रस्त शहरों, देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी, में रोजाना 30 से 50 हजार कोविड टेस्ट किये जाएँ.
होम आइसोलेशन मरीजों को तत्काल स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करायी जाएँ.
जिलाधिकारियों द्वारा अस्पतालों में रोजाना बैड और आक्सीजन स्टॉक का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाये. ताकि संकट गहराने पर ठोस योजना बनायी जा सके.
उत्तराखण्ड में रजिस्टर्ड 2500 दंत चिकित्सकों से कोविड सेंटरों में मदद ली जाये.
एसटीएच में कोविड मरीजों के दबाव को देखते हुए रामनगर में भी एक कोविड सेंटर बनाया जाये.
मरीजों से ज्यादा पैसा वसूलने वाले वाले एम्बुलेंस मालिकों पर कारवाई कर उनका पंजीकरण रद्द किया जाये.
पर्वतीय क्षेत्रों में ख़राब इंटरनेट कनेक्टिविटी को देखते हुए वहां के लोगों का बगैर पंजीकरण के वैक्सीनेशन सुनिश्चित किया जाये.
रेमडिसिवर की कालाबाजारी रोकने के लिए ड्रग इंस्पेक्टर इन पर क्यूआर कोड लगाएं.
कुमाऊं के एकमात्र कोविड अस्पताल एसटीएच में कार्यरत 700 उप्नल कर्मचारियों के अपने घरों से बाहर रहने की व्यवस्था की जाये, ताकि उनके परिवारों को प्रभावित होने से बचाया जा सके.
हाईकोर्ट ने इन सभी बिन्दुओं पर 7 मई तक कार्रवाई कर रिपोर्ट 10 मई को होने वाली अगली सुनवाई में करने को कहा है.
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