जनवरी का आधा महीना जा चुका है, फरवरी खत्म होते-होते बीते साल की तरह जंगलों में आग लगने की खबरें अख़बारों में छपना शुरू हो जायेंगी. सोशियल साइट्स पर करुण हृदय सम्राट साथी मार्मिक पोस्ट लगायेंगे और शुरू होगा सामूहिक सोशियल साईट रुदन कार्यक्रम. जंगल की आग का शिकार वनस्पति के अलावा जंगल का छोटे से छोटा जीव और बड़े से बड़ा जानवर होता है जबकि इस जंगल की आग के लिये 99% मामलों में जिम्मेदार शातिर इंसान सोशियल मिडिया पर रुदन कार्यक्रम चलाता है. हरेला सोसायटी के युवा इस साल उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने से पहले एक मुहिम शुरू कर रहे हैं. यह आप पर निर्भर है कि आप उनका साथ देते हैं या हमेशा की तरह सामूहिक सोशियल साईट रुदन कार्यक्रम का हिस्सा बनते हैं. हरेला सोसायटी के संयोजक मनु डफाली की यह अपील पढ़िये : सम्पादक (Harela Society’s Campaign)
पहले अमेजन की आग, फिर अफ्रीका और अब ऑस्ट्रेलिया और हम सभी सोशल मीडिया में आग बूझा रहे हैं, जैव विविधता को बचा रहे हैं. है न…
ऐसा है, जिस तरह से चीजें चल रही हैं और जो हम हैं न उसे देखते हुए, हमारे पास 14 साल से ज्यादा नहीं बचें हैं इस धरती पर.
इतना कम, वो कैसे? वो फिर कभी आगे साझा करूंगा. अभी सिर्फ एक चीज समझे, अगर टाइम है और वाकई में इन जंगलों की भीषण आग को लेकर परेशान हो तो.
ये इसलिए भी लिख रहा हूँ, क्यूंकि याद करो, अमेज़न में आग लगी, फिर हम भूल गए, वही अफ्रीका और अब ऑस्ट्रेलिया के बाद भी यही होगा. पता नहीं, लेकिन लग रहा है जैसे अगली बारी हिमालय और भारत के जंगलों की हो. यहाँ आग लगेगी और फिर शायद आज जैसा कुछ भी न बचे. 2016 जैसा कुछ भीषण, या शायद उससे भी ज्यादा.
ये होके रहेगा अगर वक्त रहते हम दुनिया भर में हो रहे इन बदलावों को देख कर भी नहीं चेते. ऐसे में एक लाजमी सा सवाल आता है, हम क्या कर सकते हैं, तो ध्यान से सुनो कि ये फालतू के कंसर्न दिखाने के अलावा तुम अभी क्या-क्या कर सकते हो :
1. तुम अपने जैसे कुछ जागरूक लोगों का समूह बनाओ और अपने जिले के डी.एफ.ओ. (डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर) से मिलो और उनसे पूछो कि आने वाले फायर सीजन से पहले हर वन पंचायत (उत्तराखंड के लिए), रिज़र्व फारेस्ट, नेशनल पार्क, सैंक्चुअरी और वन क्षेत्रों के लिए वो क्या तैयारी कर रहे हैं?
2. उनसे पूछे कि किन-किन बिंदुओं पर वो काम कर रहे हैं और किन-किन चीज़ों की कमी उनके विभाग में है?
3. पूरी मीटिंग के मिनट, आप जिले के डी.एम, मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरनमेंट, फारेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज, दिल्ली के साथ साझा करें.
4. पूरी कार्यवाई को सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया से साझा करे. ट्विटर, फेसबुक, वाट्सएप्प का प्रयोग इस जैसे कामों के लिए करें.
5. जरूरत पड़े तो इस तरह के संवाद बार-बार करें.
6. फारेस्ट फायर्स, क्लाइमेट चेंज आदि के बारे में और पढ़े. जागरूक बनें और अन्य को भी बनाएं. आपको और अधिक जानकारी चाहिए हो, [email protected] या [email protected] पर ईमेल करें.
और याद रखें जो भी किया जा सकता है, वो आग लगने से पहले ही किया जा सकता है, बाद में कुछ भी नहीं.
मनु
हरेला सोसाइटी
नोट : अगर कुछ करना नही है खाली पढ़ कर भूल जाना है, तो ये फालतू के लाइक, कमेंट, शेयर नही करें.
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