एक गांव में एक व्यापारी अपनी दो पत्नियों के साथ रहता था. दोनों पत्नियाँ आपस में खूब झगड़ा करती थी क्योंकि आदमी अपनी दूसरी पत्नी को ज्यादा प्यार करता तो हमेशा उसी का साथ देता. एकबार व्यापारी परदेश से अपनी दूसरी पत्नी के लिये खूब सुंदर-सुंदर कपड़े लेकर आया और पहली पत्नी के लिये रत्तीभर भी कुछ नहीं लाया.
(Hapless Wife Kumauni Folk Stories)
पहली पत्नी यह देखकर डाह से जल गयी. जब व्यापारी और दूसरी पत्नी सो गये तो उसने सारे नये कपड़े आग के हवाले कर दिये. व्यापारी ने यह देखा तो उसने पहली पत्नी की खूब पिटाई कर दी. पहली पत्नी रात के अंधेरे में ही घर छोड़कर चल दी और 7 रात और 7 दिन तक चलती रही.
कहीं दूर जाकर एक जंगल में वह एक साधु से टकराई. साधु ने उससे पूछा – तू कौन है रे? कहाँ को जो जा री है?
औरत ने अपनी सारी आपबीती सुनाई और कहा- खूब सेठ व्यापारी की पत्नी हूँ. उसने मुझे बहुत पीटा इसलिये घर छोड़कर जा रही हूँ. मेर घर में मेरी सौतन है मेरा आदमी उससे प्यार करता है और मुझे पीटता है. सोता भी वह उसी रांड के साथ है मेरे साथ तो सोता ही नहीं है.
पर अब तू कहाँ को जो रस्ते लगी है. साधु ने उससे पूछा.
अब मैं पति की तलाश कर रही हूँ. औरत ने जवाब दिया. साधु ने उसे फल दिये औरत ने साधु के दिये फल खा लिये. उसके बाद साधु और औरत जंगल में साथ चलने लगे. रात का अँधेरा होने लगा तो साधु ने कहा- जंगल बहुत बीहड़ है अंधेरे में पर करना खतरे से खाली नहीं इसलिए आज रात यहीं कहीं रुक जाते हैं.
औरत ने भी साधु की बात मान ली. दोनों जंगल में उचित स्थान देखकर रहने लगे. जब सोने का समय हुआ तो साधु ने औरत से कहा- जंगल में तो बाघ भालू बहुत हुये तू अकेले जो कैसे सोयेगी. अच्छा होगा हम दोनों साथ में सोयें. इस तरह दोनों की जान बच जायेगी. बेचारी औरत डर गयी और उसने साधु की बात मान ली.
रात के तीसरे पहर में साधु के मन में कुवासना जगी और उसने औरत के साथ कुकर्म किया. सुबह होते ही साधु ने अपने शरीर की राख झाड़ी और व्यापारी का भेष धर लिया. उसके बाद से साधु व्यापारी के भेष में ही उस औरत के साथ रहने लगा. दोनों की ठीक-ठाक गुजर बसर चलने लगी.
(Hapless Wife Kumauni Folk Stories)
एक दिन औरत ने कहा- सुनो मेरा जो पहला पति था उसके पास खूब सारी दौलत है. तुमको तो वशीकरण विद्या आती होगी तुम मेरे पहले पति को मार दो और उसकी दूसरी पत्नी को अपने वश में करके अपनी पत्नी बना लो. साधु ने उसकी बात पर हामी भर दी.
दोनों औरत के पुराने पति के शहर में आकर रहने लगे. साधु ने औरत के पहले पति से पहले दोस्ती की फिर एक दिन उसके खाने में कुछ मिला दिया जिसके बाद व्यापारी पूरी तरह से पगला गया. वह बस इधर-उधर घूमता, खाने में गोबर तक खा जाता. फिर एक दिन वह गायब हो गया.
साधु ने व्यापारी की दूसरी पत्नी से शादी कर ली और उसकी संपत्ति के साथ उसे अपने घर ले आया. धीरे-धीरे साधु अपनी पहली पत्नी से दूर होने लगा. एक समय बाद वह केवल अपनी दूसरी पत्नी से प्यार करने लगा. यह देखकर व्यापारी कि पहली पत्नी के भीतर फिर से डाह होने लगी. वह सोचने लगी की- पहले पति का भी सारा प्यार इसे ही मिला दूसरे पति का प्यार भी यही लूट रही है.
एक रात साधु और उसकी दूसरी पत्नी पलंग पर लेटे सो रहे थे. पहली ने चुप-चाप बड़यांठ निकाला और भीतर जाकर छन्न से दोनों की गली शरीर से अलग कर दी. उसके बाद उसने कमरे का सारा सामान बिखरा दिया और ख़ुद चुपचाप अपने कमरे में जाकर सो गयी. सुबह उठकर जोर-जोर से चीखने लगी उसकी चीख सुनकर गांव के आस-पास के लोग इकठ्ठा हो गये. लोगों के पूछने पर उसने बताया रात को लुटरे दोनों को मर गये और सामान लूट ले गये. कुछ दिनों बाद उसने तीसरी शादी कर ली.
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