आपदा की पहली मार पर्यटन को

किसी भी मानव जनित या प्राकृतिक आपदा का खामियाजा सबसे पहले पर्यटन क्षेत्र को ही भुगतना पड़ता है. 2001 में अमेरिका में हुआ 9/11 और फिर 2008 में भारत में हुआ 26/11 का बड़ा आतंकी हमला हो या फिर 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में आई आपदा और 2014 में जम्मू कश्मीर में आई भयानक बाढ़ हो, इन सबके बाद के पर्यटन के ऑंकड़ों में अगर नजर डाली जाए तो पर्यटकों की गिनती में भारी गिरावट दर्ज की गई. आतंकी हमले जैसी घटना की वजह से पर्यटकों का कम आना या न आना किसी भी देश या राज्य के लिए आर्थिक रूप से नुकसानदेय होने के साथ-साथ उसकी छवि को भी गहरा आघात पहुँचाता है. Disaster and Tourism

मिसाल के तौर पर अगर हम मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले के पहले व बाद के पर्यटकों के ऑंकड़ों का अध्ययन करें तो ये चौकानें वाले नज़र आते हैं. भारतीय इमिग्रेशन ब्यूरो के अनुसार साल 2007 तक भारत में विदेशी पर्यटकों का आना 14.3% की वार्षिक वृद्धि लिये हुए था जो 2008 में मात्र 4% की वार्षिक वृद्धि के साथ बढ़ा और आतंकी हमले के बाद साल 2009 में यह वार्षिक वृद्धि 3.3% तक घट गई जिसका भारी आर्थिक नुकसान भारतीय पर्यटन क्षेत्र को उठाना पड़ा.

वहीं दूसरी तरफ केदारनाथ जैसी प्राकृतिक आपदा के बाद अगर हम केदारनाथ आने वाले पर्यटकों की संख्या पर गौर करें तो पाते हैं कि 2012 तक तकरीबन 6 लाख यात्री केदारनाथ की यात्रा पर आए. आपदा के वर्ष 2013 में यह आँकड़ा घटकर 3 लाख 12 हजार के आसपास थम गया. और ठीक इसके अगले वर्ष 2014 में लगभग 87% की गिरावट के साथ केदारनाथ में आने वाले यात्रियों की संख्या सिमटकर 41 हजार के आसपास रह गई. इसी तरह अन्य देशों और राज्यों या मशहूर पर्यटन स्थलों पर आई प्राकृतिक या मानव जनित आपदाओं के बाद के आँकड़ों का अध्ययन करें तो पाएँगे कि इन आपदाओं ने समय-समय पर पर्यटन पर आश्रित देशों, राज्यों और कामगारों के लिए चुनौतियॉं पेश की हैं.

अलग-अलग देशों व राज्यों में भिन्न-भिन्न समय पर आई आपदाओं की वजह से पर्यटन प्रभावित जरूर रहा लेकिन पूर्ण रूप से कभी बंद नहीं हुआ. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से दुनियाँ भर के पर्यटन स्थलों में ताला लग गया है. यह मानव इतिहास में शायद पहली बार हुआ है कि पूरी दुनिया एक समय में एक साथ थम गई हो. यह प्राकृतिक आपदा है या मानव जनित, इस पर अभी साफ-साफ कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इस आपदा ने पूरे विश्व को अपनी जद में ले लिया है.

दुनिया में थाईलैंड, मालदीव, नेपाल आदि जैसे तमाम देश हैं जो पूरी तरह पर्यटन पर निर्भर करते हैं. वर्ड बैंक के अनुसार पर्यटन पर निर्भर देशों को कोरोना वायरस की वजह से सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा जिस वजह से वहॉं नौकरियाँ जाने के साथ-साथ गरीबी बढ़ सकती है. कोरोना वायरस के इस कहर से उबरने और पर्यटन के अपनी पटरी पर लौटने के लिए इन देशों को डेढ़ से दो साल तक का इंतजार करना पड़ सकता है. Disaster and Tourism

पर्यटन इंडस्ट्री खुद में बहुत से संगठित व असंगठित क्षेत्रों को समेटे हुए है जिस वजह से दुनिया भर में करोड़ों लोगों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है. भारत में पर्यटन को सातवीं पंचवर्षीय योजना में इंडस्ट्री का दर्जा दिया गया जिसके बाद से यह सेक्टर लोगों की आजीविका का महत्वपूर्ण अंग साबित हुआ है. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ स्वदेशी पर्यटकों को भी घर से निकलने की मनाही है जिस वजह से पूरा टूरिज्म सेक्टर बुरी तरह चरमरा गया है. फिलहाल प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स ने अपने कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया है और इस संकट से उबरने के इंतजार के सिवाय उनके हाथ में कुछ नहीं है. हाल यह है कि इस समय में कोई नया काम नहीं आ रहा है और जो पुरानी बुकिंग थी वो सब भी लगभग कैंसल हो चुकी हैं.

‘फ़ेडरेशन ऑफ असोसिएशन्स इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटेलिटी’के अनुसार पर्यटन से जुड़े बहुत से बिजनेस बंद होने की कगार पर खड़े हैं जिस वजह से बेरोजगारी की संभावना बढ़ गई है. अनुमान यह है कि पर्यटन में कार्यरत कुल कर्मचारियों (लगभग 5.5 करोड़) में से 70% (लगभग 3.8 करोड़) के बेरोजगार होने की संभावना है. पर्यटन के क्षेत्र में कार्यरत अलग-अलग सेक्टरों ने सरकार को लिखकर अंतरिम रूप से ईएमआई और टैक्स में राहत देने की अपील की है.

उत्तराखंड जैसा राज्य जिसकी जीडीपी में पर्यटन का योगदान लगभग 27 फीसदी है, आने वाले टूरिस्ट सीजन को लेकर आशंकित है. इसी महीने चार धाम के कपाट खुलने हैं लेकिन कोरोना वायरस के चलते यात्रा सुचारू रूप से चल पाएगी इस पर संशय बना हुआ है.

हालाँकि विभिन्न देशों को आर्थिकी के लगभग समस्त क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ रहा है और अर्थव्यवस्थाएँ तेजी से वैश्विक मंदी की तरफ बढ़ रहीं हैं लेकिन इस कठिन समय में उस मानव संसाधन का सुरक्षित रहना सबसे जरूरी है जो गिरती अर्थव्यवस्था को कल दुबारा उठाने में अपने-अपने देशों की मदद करेगा. Disaster and Tourism

दुनिया जब 1930 की भयावह वैश्विक मंदी से बाहर निकल आई थी तो आने वाले समय में कोरोना जनित वर्तमान मुसीबत से भी बाहर निकल ही आएगी. कल फिर से सब कुछ सामान्य होने लगेगा और लोग घूमने-फिरने का प्लान बनाने लगेंगे. फिलहाल घर में बैठकर इंटरनेट और गूगल की मदद से भविष्य के लिए टूर प्लान कीजिये. वर्चुअल टूर असल में आपकी बहुत मदद करते हैं और आपको किसी पर्यटन स्थल की महत्वपूर्ण जानकारियॉं प्रदान करते हैं जो भविष्य में किसी पर्यटन स्थल पर आपकी दूसरों पर निर्भरता को कम करता है. इसलिए संकट की इस घड़ी में खुद का व अपने परिवार का ध्यान रखिये और अपनी अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा को कुछ समय के लिए वर्चुअल टूर के माध्यम से तृप्त कीजिये. Disaster and Tourism

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नानकमत्ता (ऊधम सिंह नगर) के रहने वाले कमलेश जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक व भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान (IITTM), ग्वालियर से MBA किया है. वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग में शोध छात्र हैं

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