समाज

अद्भुत है नैनीताल के दीवान सिंह बिष्ट के हाथ से बने क्रीम रोल का स्वाद

हल्द्वानी से हैड़ाखान रोड (भीमताल ब्लॉक) पर गांव पड़ता है गुमालगांव. अचानक वहां से गुजरते हुए नाक में बिस्कुट बेक होने की खुशबू घुसी ही थी कि सामने छोटी सी बेकरी दिखाई दी. (Delicious Handmade Cream Roll of Diwan Singh Bisht)

रुक कर जायजा लिया तो पता यहां मिले दीवान सिंह बिष्ट. यह बेकरी दीवान सिंह बिष्ट की बेकरी है. जब उनसे बात हुई तो उन्होंने बताया कि वे सन 1985 से क्रीम रोल बना रहे हैं. (Delicious Handmade Cream Roll of Diwan Singh Bisht)

हल्द्वानी बाजार से लेकर आसपास के दर्जन भर गांव सहित चंपावत तक उनका यह उत्पाद (क्रीम रोल) जाता है. दिवान सिंह बिष्ट की बेकारी में पुरानी तकनीक से क्रीम रोल बनाये जाते हैं, पुरानी तकनीक का मतलब है – हाथ से क्रीम भरी जाती है.

उनकी बेकरी में उत्पाद लकड़ी की आग में बेक किये जाते हैं. परिवार के सदस्य काम मे हाथ बटाते हैं. वहीं 2-3 युवाओं को भी रोजगार मिला हुआ है.

फोटो : भूपेश कन्नौजिया

दीवान बताते हैं कि अब यह धंधा बस पेट पालने तक सीमित है. कमाई बेहद कम है, लागत ही निकल पाती है. मेहनत नहीं. बाजार में टिके रहने के लिये काफी कम कीमत कर दी है मगर हाईटेक संसाधनों के चलते गुणवत्ता में थोड़ी कमी रह जाती है.

आग में बेक किये क्रीम-रोल अब कम ही जगह मिलते हैं. अब सब मशीनें काम निबटा रही हैं. हम सारा काम हाथ से करते हैं..मैदा गूथने से लेकर उसमें क्रीम भरे जाने व पैकेट तैयार किये जाने तक का सारा काम हाथ से.

इन हालातों में कब तक टिक पाएंगे बाजार में,  पूछने पर कहते हैं –  जब तक हम टिके हैं तब तक..!

फोटो : भूपेश कन्नौजिया

साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए और पूरी शिद्दत से दीवान क्रीम रोल तैयार कर उन्हें रोजाना बाजार तक पहुँचवाते हैं. उनका कहना है कि इतने वर्षों से काम करते आ रहे हैं आजतक किसी भी दुकानदार की माल को लेकर कोई शिकायत नहीं आयी. उनका मानना है कि दो पैसे कम बचे पर माल में कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए यही हमारा ब्रांड है.

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

हल्द्वानी में रहने वाले भूपेश कन्नौजिया बेहतरीन फोटोग्राफर और तेजतर्रार पत्रकार के तौर पर जाने जाते हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

View Comments

  • सुन्दर जिजीविषा का उम्दा उदाहरण। परन्तु मेरा मानना है कि उन्हें थोड़ा बहुत बदलाव करना चाहिए। वक्त के साथ खुद को ढालना पड़ता है। नोकिआ का हश्र हमने देखा है।

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

2 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

2 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

2 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

2 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

3 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

3 weeks ago