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सबसे पहले मैं अपना एक संक्षिप्त परिचय देना चाहता हूं. मेरा नाम कैप्टन सुंदर चंद ठाकुर है. मैं एक एक्स आर्मी ऑफिसर, पत्रकार, योगा ट्रेनर, मोटिवेशनल स्पीकर, मैराथन रनर, लेखक और लाइफ कोच हूं. आज हम एक ऐसे टॉपिक पर बात करने वाले हैं जो जिससे डील करना आना हमारी ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी है. प्रोक्रेस्टिनेशन. यानी अपने जरूरी कामों को भविष्य में टालने की आदत. कबीरदास का एक दोहा है – काल करे सो आज कर आज करे सो अब, पल में प्रलय होएगी बहुरि करेगा कब. बहुत सारे लोग हैं जो इसे दोहे को नहीं मानते. उन्होंने अपना ही एक दोहा बना लिया है – आज करे सो काल कर काल करे सो परसों इतनी जल्दी क्या है जीना है जब बरसों.
दोस्तो इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि हम पृथ्वी नामक इस खूबसूरत ग्रह के स्थायी यानी परमानेंट सिटिजन नहीं हैं. हमारी जिंदगी एक लिमिटेड टाइम पीरियड के लिए ही है. उस टाइम का optimum इस्तेमाल किया जाना जरूरी है. हमें इस बात का अंदाज नहीं कि प्रोक्रेस्टिनेशन करके हम अपना कितना नुकसान करते हैं. दोस्तो आप जब भी किसी काम को टालते हैं तो आप उस काम के पूरा होने से आपके जीवन में पैदा होने वाले अवसरों को भी टालते हैं. इस तरह अवसरों का उपयोग करने से हमारा जीवन जितना समृद्ध, जितना सक्सेसफुल हो सकता था, हम एक तरह से उस सबको भी टाल देते हैं और दुखी व गरीब बने रहते हैं. अगर आप सक्सेसफुल ऑन्तरप्रिन्योर्स को देखोगे, तो पाओगे कि वे मौके पर चौका मारने में पारंगत होते हैं. आप जहां हाथ आए हुए अवसर को भी गंवा देते हो, वे अवसर पैदा करके उनका इस्तेमाल करते हैं. इसीलिए वे अरबों रुपयों की कंपनी खड़ी कर पाते हैं और सक्सेस की एक इंस्पाइरिंग स्टोरी लिख जाते हैं.
आज हम उन वजहों की तहकीकात करेंगे जो हमसे प्रोक्रेस्टिनेशन करवाती हैं. हम यह भी जानेंगे कि हम प्रोक्रेस्टिनेशन करते क्यों हैं. इससे निपटने के प्रभावी तरीकों पर भी बात करेंगे. लेकिन सिर्फ सुन लेने भर से काम नहीं चलेगा दोस्तो. You need to learn and apply.
पार्ट 1 – WHY DO WE PROCRASTINATE
दोस्तो broadly देखें तो प्रोक्रेस्टिनेशन की चार वजहें हैं.
पहली वजह – Pain से दूरी Pleasure से नजदीकी
दोस्तो हमारा दिमाग सही और गलत नहीं समझता. वह यह कतई नहीं समझता कि आपके भविष्य के लिए क्या अच्छा है क्या नहीं. वह सिर्फ यह समझता है कि उसके लिए अभी क्या अच्छा है और क्या खराब. क्या सुविधाजनक है और क्या तकलीफ भरा. वह काम जिसमें शरीर को न हिलाना पड़े दिमाग को न खर्च करना पड़े उसे दिमाग अपने लिए अच्छा मानता है और जिस काम में शरीर को भी हिलाना पड़े और दिमाग भी लगाना पड़े उसे वह खराब मानता है. यानी वह pain को avoid करता है pleasure को गले गलाता है. दिमाग यह नहीं समझता कि जिस काम से अभी तुरंत पेन मिलने वाला है, उससे भविष्य में pleasure मिलेगा. दोस्तो, ऐसा आपका दिमाग नहीं समझता लेकिन आप तो समझ गए न. इसलिए pain वाले कामों को प्रोक्रेस्टिनेट न करो क्योंकि यही pain आपके आने वाले दिनों के लिए pleasure में बदलने वाला है.
दूसरी वजह – क्रिटिसिज्म, फेल होने और दूसरों के जजमेंट का डर
हमारा जो भी काम पब्लिक के बीच जाने वाला होता है उसे लेकर हम ज्यादा प्रोक्रेस्टिनेट करते हैं क्योंकि तब हम अपने काम को लेकर दूसरों के जजमेंट के बारे में सोचने लगते हैं. What if they don’t like? What if people give negative comments on my YouTube video? What if I fail! What will my friends, colleagues and relatives think about me? आप डर की एक endless tunnel में घुस जाते हो.
तीसरी वजह – खुद पर भरोसे की कमी
Self-doubt और आत्मविश्वास की कमी भी कई बार हमसे प्रोक्रेस्टिनेशन करवाती है. आत्मविश्वास को बढ़ाना है, तो उसके तरीके मैंने बताए हुए हैं. एक पूरा विडियो ही इस पर है कि आत्मविश्वास को कैसे बढ़ाएं. मैं उसका लिंक डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे रहा हूं. जिसने विडियो नहीं देखा वह एक बार जरूर देख ले. जब किसी विषय पर हमें पूरी नॉलेज नहीं होती या हमारे पास जरूरी स्किल सेट नहीं होता, तब भी हम प्रोक्रेस्टिनेट करते हैं.
चौथी वजह – बायोकैमिकल एनर्जी की कमी
जी हां दोस्तो, कई बार जब आपकी बायोकैमिकल एनर्जी low होती है और आपके शरीर में vitamin D, Zinc और मैग्नीशियम का लेवल असंतुलित हो जाता है, तो आप में कोई काम करने की ताकत ही नहीं रहती. दोस्तो इस बात को समझें कि प्रोक्रेस्टिनेशन और आलस्य यानी laziness में फर्क है. एक आलसी आदमी तो काम करने को ही तैयार नहीं होता. उसे आराम करने में ही मजा आता है. लेकिन प्रोक्रेस्टिनेशन में ऐसा नहीं होता कि आप काम करना नहीं चाहते या आप उस काम की इंपोर्टेंस को नहीं समझते, लेकिन आप दूसरी वजहों से उन्हें टाल देते हैं. यह एनर्जी कम होना एक बड़ी वजह है क्योंकि आपकी लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, एंजाइटी और आपका फास्ट फूड जब मिलाकर आपकी एनर्जी के स्तर को कम कर देते हैं. पर काम तो एनर्जी से ही होते हैं. इसलिए आप एनर्जी के बिना बहुत जरूरी काम को भी टालते ही रहते हैं.
पार्ट –2 SIX SITUATIONS WHERE WE TEND TO PROCRATINATE
6 स्थितियां जहां हम काम टालते हैं
पहली – जब काम बहुत बोरिंग लगे
जब काम बोरिंग हो तो हम ज्यादा प्रोक्रेस्टिनेट करते हैं. जैसे हमारे लिए बिजली के बिल को भरने में कोई मजा नहीं, बच्चों को पढ़ने में मजा नहीं आता, हाउस वाइफ की भूमिका में जी रही महिलाओं को कपड़े फोल्ड करने में मजा नहीं आता, ये सब काम बोरिंग हैं इसलिए आप देखते हैं कि अक्सर इन्हें टाला ही जाता रहता है.
दूसरी – जब काम मुश्किल हो
मुश्किल लगने वाले काम को भी हम प्रोक्रेस्टिनेट करते हैं. लिखना मुश्किल लगता है, तो आप लिखोगे नहीं, पब्लिक के सामने बोलना मुश्किल लगता है, तो बोलोगे नहीं. जिस बच्चे को मैथ मुश्किल लगती है, वह मैथ के सवाल टालता रहेगा.
तीसरा – जब काम का कोई structure न हो
अगर काम unstructured हो, उसमें कोई प्लानिंग नहीं हो, यह न पता हो कि उसे कब शुरू होना है कब खत्म होना है, तो तुम उसे टालते रहोगे. इसलिए काम की डेडलाइन तय करना बहुत जरूरी है.
चौथा – जब काम स्पष्ट नहीं हो यानी वह ambiguous हो
जब आपके पास कुछ बराबर महत्व के काम हों और आप निश्चित नहीं हो कि आपको कौन-सा पूरा करना चाहिए, तो आप प्रोक्रेस्टिनेट करते हो.
पांचवां- पर्सनल मीनिंग की कमी
अगर किसी काम में आपके लिए कोई पर्सनल मीनिंग नहीं है, तो आप उसे टाल देते हो. जैसे कुछ कर्मचारी कंपनी का काम है समझ काम को टालते ही रहते हैं. पर जिसने अपना बिजनेस शुरू किया है, वह दूसरों का काम भी खुद करता है.
छठा – जब काम से कोई रिवॉर्ड न जुड़ा हो
अगर किसी काम के साथ फिजिकल या साइकॉल्जिकल रिवॉर्ड नहीं जुड़ा, तो हम उसे टाल देते हैं. बिजली का बिल भरने पर क्या आपको कोई रिवॉर्ड मिल रहा है? नहीं न? इसलिए आप उसे आखिरी तारीख तक टालते चले जाते हो.
अगर आप इन छह वजहों को दूर कर लें, तो आप अपने आप काम टालना भी बंद कर देंगे.
पार्ट 2 – SIX EFFECTIVE WAYS TO DEAL WITH PROCRASTINATION
- काम को छोटे हिस्सों में तोड़ दो
एक effective strategy तो यह है कि हम अपने काम को छोटे और आसानी से मैनेज किए जा सकने वाले टुकड़ों में तोड़ दें. इससे ओवरऑल गोल ज्यादा मुश्किल और डरावना नहीं लगता. जैसा कि मैं अपनी मैराथन रनिंग में करता हूं. 42 किलोमीटर को 5-5 किलोमीटर के छोटे टुकड़ों में बांट देता हूं. एक बार में एक हिस्से को करने में अपना ध्यान लगाने से आपका मोमेंटम भी बनता है और आपका डर भी कम होता जाता है.
2. SMART गोल बनाएं
आपको SMART का फुल फॉर्म पता ही होगा. Specific, Measurable, Achievable, Relevant and Time-bound. जब आप साफ-सुथरे और वास्तविक लक्ष्य बनाते हैं, तो आप ज्यादा फोकस और मोटिवेट होकर अपने लक्ष्यों को हासिल करने के रास्ते पर बढ़ते हैं. यह आपके लक्ष्यों को ट्रेक करने और छोटी-छोटी कामयाबियों की खुशी मनाने में भी आपकी मदद करता है.
3. एक Structured schedule बनाएं
अगर आप अपने काम को पूरा करने को लेकर एक योजना से तैयार किया गया शेड्यूल बनाते हैं, तो इससे प्रोक्रेस्टिनेशन कम होता है. अपने काम के लिए समय नियत करें और उसी के मुताबिक चलें. आजकल तो प्लानर्स आने लग गए. डायरियां आती हैं. प्रडक्टिविटी एप्स आते हैं. आपकी दिनचर्या में कामों को लेकर जितनी consistency रहेगी उतना अनुशासन भी आएगा और प्रोक्रेस्टिनेशन कम होगा.
4. Pomodoro तकनीक का उपयोग करें
Pomodoro technique में हर काम के लिए 25-25 मिनट का समय रखा जाता है. इस दौरान पूरा फोकस काम पर रखते हैं और फिर 5 मिनट का ब्रेक लिया जाता है माइंड को फ्रेश करने के लिए. इससे हमारा फोकस निरंतर बने रहता है और धीरे-धीरे माइंड निश्चित समय तक फोकस से काम करने में ट्रेंड हो जाता है और प्रोक्रेस्टिनेट करता है.
5. परफेक्शन न ढूंढे और फेल होने के डर से बचें
परफेक्ट बनने की कोशिश करेंगे, तो प्रोक्रेस्टिनेशन के अवसर बढ़ाएंगे और फेल होने से डरेंगे, तो काम करेंगे ही नहीं. इसलिए दोनों से बचने की कोशिश करें. इस बात को समझें कि गलतियां सीखने की प्रोसेस का ही हिस्सा होती हैं. और चुनौतियों को ग्रोथ की ऑपरच्युनिटीज के रूप में देखें. परफेक्ट बनने या दिखने की आकांक्षा को अपनी ग्रोथ के रास्ते की रुकावट न बनने दें.
6. अपना Accountablity partner ढूंढ लें
अपने लक्ष्य को अगर आप अपने दोस्त, परिवार के सदस्य या ऑफिस के किसी साथी के साथ शेयर करते हैं, तो इससे भी आपको मोटिवेशन मिल सकता है. Accountablity partner होगा तो आपको ट्रेक पर बने रहने में मदद मिलेगी क्योंकि वह आपको सपोर्ट और प्रोत्साहन देगा. कोई आपके काम की प्रोग्रेस को देख रहा है, इस बात के खयाल रहने से आप प्रोक्रेस्टिनेशन से बचने की कोशिश करेंगे.
अब मैं आपको एक बहुत खास टेक्नीक बता रहा हूं. AIA Technique to eliminate procrastination
एक बात जान लीजिए कि प्रोक्रेस्टिनेशन से मुक्त होने का कोई जादुई फॉर्म्यूला नहीं है. Neuro Linguistic Programming यानी एनएलपी का कोर्स करते हुए मैंने एक बहुत प्रभावी टेक्नीक सीखी थी. वही आप लोगों से शेयर कर रहा हूं. इस AIA टेकनीक में पहला A Awareness का A है. इसके बाद आने वाला I अंग्रेजी शब्द INTENTION का I है. और इसके बाद आने वाला A अंग्रेजी शब्द ACTION का A है. अब समझिए कि इस टेक्नीक का कैसे इस्तेमाल करना है. जब भी आप अपने भीतर से इस लिटिल वॉइस को सुनते हो – मैं यह कल करूंगा. तो इस लिटिल वॉइस को लेकर अवेयरनेस ले आओ. अवेयरनेस इंसान की सबसे बड़ी शक्ति है. माइंडफुल मेडिटेशन की प्रैक्टिस से अवेयर रहने की ही कैपेसिटी विकसित होती है. अवेयरनेस ही आपके लिए विकल्प पैदा करती है. बिना अवेयरनेस से आप नाक की सीध में ही चलते रहते हो. अवेयर होते ही आपको समझ आएगा कि आपकी लिटिल वॉइस आपसे क्या और क्यों कह रही है.
अवेयरनेस के बाद बारी आती है I for INTENTION की. Intention को एक्टिवेट करने के लिए आपको अपने काम को नहीं करने के pain और करने के pleasure के बारे में सोचना है. दोनों ही आपके intention को strong बनाएंगे.
Intention के बाद आता है Action. इस स्टेज में आपको काम को पूरा करने के बारे में नहीं बल्कि उसे शुरू करने के शुरुआती हिस्से के बारे में सोचना है. जैसे आप अगर जिम जाना चाहते हैं तो जिम में ट्रेनिंग करने के बारे में सोचने की जरूरत नहीं बल्कि जाने के लिए जिम के कपड़े पहनने के बारे में सोचिए. यानी आपको जो भी action करना है आपने उसके initial part के बारे में ही सोचना है. पूरे काम की बजाय उसके एक छोटे हिस्से को करने के बारे में सोचेंगे तो आपके दिमाग को काम हल्का लगेगा और आप उसे प्रोक्रेस्टिनेट नहीं करेंगे.
याद रखो कि आपके ब्रेन में बहुत पुरानी प्रोग्रामिंग है. लेकिन आपके पास Pre-frontal Cortex के रूप में नया दिमाग है. So negotiate smartly with your brain.
तो दोस्तो प्रोक्रेस्टिनेशन हम सबके लिए कॉमन चैलेंज है लेकिन अगर हम सही strategies अपनाएं तो हम उसे मात दे सकते हैं. अपने काम को छोटे हिस्सों में बांटकर, SMART गोल्स बनाकर, Structured schedule बनाकर, Pomodoro technique का इस्तेमाल कर और परफेक्ट बनने की कोशिश न कर व Accountablity partner बनाकर हम प्रोक्रेस्टिनेशन से लड़ सकते हैं. Awareness, Intention और Action के रूप में हमारे पास AIA की बहुत प्रभावी technique भी है. इसका भी इस्तेमाल करें और प्रोक्रेस्टिनेशन को अपने जीवन में पांव न जमाने दें. अगर आपको प्रोक्रेस्टिनेशन के खिलाफ लड़ने को मेरे दिए गए टिप्स पसंद आए तो विडियो को लाइक और शेयर करना न भूलें. चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें ताकि मैं आप लोगों के लिए पर्सनल डेवलेपमेंट के और भी पहलुओं पर विडियो बनाता रहूं. विडियो देखने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. हमेशा present moment में रहें. कभी न भूलें – मन में है, तो मुमकिन है. तीन दिन बाद पर्सनल डेवलेपमेंट के किसी नए टॉपिक पर बात करेंगे. तब तक प्रोक्रेस्टिनेशन से लड़ने की प्रैक्टिस करें. आपका होमवर्क है कि आप अपने प्रोक्रेस्टिनेशन को रोकने के लिए एआईए टेक्नीक का इस्तेमाल करने की प्रैक्टिस करेंगे. अपने अनुभव मुझसे शेयर जरूर करें. कोई परेशानी हो तो कमेंट बॉक्स में सवाल पूछें. Mindfit Growth से जुड़ने के लिए धन्यवाद.
सुन्दर चन्द ठाकुर
कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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