समाज

आईपीएल में अपनी टीम बनाकर उत्तराखंड के दर्शन सिंह बिष्ट ने जीते 1 करोड़ रुपये

आईपीएल ने पिछले कई सालों में भारतीय युवाओं की जिन्दगी बदली है. आज तक आईपीएल ने जिन लोगों की जिन्दगी बदली है उनमें अधिकांश खिलाड़ी ही रहे हैं लेकिन इस बार आईपीएल ने शुरुआत में ही उत्तराखंड के एक ऐसे युवा की तकदीर बदल दी है जो आपीएल खेल ही नहीं रहा है. इस युवा का नाम है दर्शन सिंह बिष्ट.
(Darshan Singh Bisht My11circle Winner)

दर्शन ने माय इलेवन सर्कल नाम की एक वेबसाइट में अपनी फेंटेसी टीम के द्वारा 1 करोड़ की लॉटरी हासिल की. बीते सोमवार की शाम उन्हें करोड़पति ऑफ़ द वीक घोषित किया गया. अपनी फैंटेसी टीम में उन्होंने मार्क स्टोनिस को कप्तान और मयंक अग्रवाल को उपकप्तान बनाया था.

गैरसैंण विकासखंड के मेहलचौरी ग्राम पंचायत के पास थाला गांव के रहने वाले दर्शन ने दिल्ली कैपिटल और पंजाब इलेवन के बीच हुए मुकाबले के लिये अपनी टीम चुनी. उनके द्वारा चुनी गयी टीम द्वारा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किये जाने के कारण उन्हें 1 करोड़ का इनाम दिया गया.
(Darshan Singh Bisht My11circle Winner)

जीएसटी एवं अन्य टैक्स काटकर उन्हें लगभग 70 लाख तक की धनराशि दी जायेगी. दर्शन इससे पहले जयपुर के होटल में नौकरी करते थे. कोरोना महामारी के चलते दर्शन को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. महामारी के बाद से ही वह अपने गांव थाला में रह रहे थे.

माय इलेवन सर्कल भी एकप्रकार का ऑनलाइन फेंटेसी स्पोर्ट्स है. भारत समेत विश्व में ऑनलाइन फेंटेसी स्पोर्ट्स एप्प बहुत लोकप्रिय हो रही हैं. एमपीएल, माय11सर्कल, बल्लेबाजी, फैनफ्लाइट, क्रिकप्ले, हाउज़ेट जैसे अनेक ऑनलाइन फेंटेसी स्पोर्ट्स से जुड़ी कुछ कम्पनियां हैं जो बीते दिनों भारत में खूब लोकप्रिय भी हो रही हैं. 2016 में भारत में इसके उपयोगकर्ता केवल 2 मिलियन थी 2019 में यह संख्या 90 मिलियन पहुंच गयी. वित्तीय वर्ष 2019 में ऑनलाइन फेंटेसी स्पोर्ट्स का कारोबार 6000 करोड़ का था जो वित्तीय वर्ष 2020 में 16,500 करोड़ हो गया.
(Darshan Singh Bisht My11circle Winner)

-काफल ट्री डेस्क

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

3 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

4 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago