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उत्तराखंड मूल के कैप्टन राम सिंह ने कम्पोज़ किया था आजाद हिन्द फ़ौज का कौमी तराना

आज़ादी से पहले भारत का राष्ट्रगान आजाद हिन्द फ़ौज का कौमी तराना था. 2 नवंबर 1941 को आजाद हिन्द की टीम ने औपचारिक रूप से रविन्द्र नाथ टैगोर के जन-गण-मन को राष्ट्रगान मान लिया था. बोस ने बर्लिन में ही रहने वाले दो भारतियों बी.एल. मुखर्जी और अम्बिक मजूमदार को जन-गण-मन का संगीत तैयार करने को कहा.
(Composer of Komi Tarana India)

कुछ दिनों बाद 11 सितंबर, 1942 के दिन बोस ने हैम्बर्ग में जर्मन-इंडियन सोसाइटी का उद्घाटन किया. यहीं सुभाष चन्द्र बोस ने पहली बार 52 सेकेण्ड के जन-गण-मन को आधिकारिक तौर पर पेश किया. बोस द्वारा पेश किया गया यह कौमी तराना बांग्ला में था.

राष्ट्रीय एकता के लिये एक भाषा के विचार पर सहमत होते हुये बोस ने अपनी दक्षिण पूर्ण एशिया की यात्रा के दौरान आबिद हसन सफरानी और मुमताज हुसैन को जन-गण-मन का हिन्दुस्तानी भाषा में अनुवाद तैयार करने को कहा.
(Composer of Komi Tarana India)

‘सब सुख चैन की बरखा बरसे’ इसी का परिणाम था. इस गीत को संगीत देने का जिम्मा आया कैप्टन राम सिंह ठाकुर पर. अपने एक साक्षात्कार में कैप्टन राम सिंह ठाकुर कहते हैं कि

सुभाषजी ने मुझे बताया कि कौमी तराना की धुन इतनी शक्तिशाली और प्रेरणादायक होनी चाहिए कि जब आईएनए के सैनिक इसे प्रस्तुत करें, तो इससे न केवल सैनिकों बल्कि लाखों भारतीयों की आत्मा भी हिल उठे.

कैप्टन राम सिंह ठाकुर

15 अगस्त 1914 को धर्मशाला के चीलगाड़ी में जन्मे कैप्टन राम सिंह ठाकुर मूल रूप से उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के हैं. कैप्टन राम सिंह ठाकुर दादाजी जमनी चंद पिथौरागढ़ जिले के मुनाकोट गांव के रहने वाले थे. जमनी चंद 1890 में अपने परिवार समेत हिमांचल बस गये थे.
(Composer of Komi Tarana India)

कैप्टन राम सिंह के विषय में विस्तार पूर्वक यहां पढ़िये:
पिथौरागढ़ मूल के थे भारतीय राष्ट्रगान की बैंड धुन बनाने वाले कैप्टन राम सिंह ठाकुर

काफल ट्री डेस्क

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  • पण्डित वंशीधर शुक्ल लखीमपुर खीरी का लिखा है यह गीत, कदम कदम बढ़ाए जा

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