एक हसरत थी कि आंचल का मुझे प्यार मिले
मैंने मंजिल को तलाशा मुझे बाजार मिले
जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है
तेरे दामन में बता मौत से ज्यादा क्या है
जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या हैजो भी तस्वीर बनाता हूँ बिगड़ जाती है
देखते-देखते दुनिया ही उजड़ जाती है
मेरी कश्ती तेरा तूफान से वादा क्या है
जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या हैतूने जो दर्द दिया उसकी कसम खाता हूँ
इतना ज्यादा है कि एहसाँ से दबा जाता हूँ
मेरी तकदीर बता और तकाजा क्या है
जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या हैऐसी दुनिया में मेरे वास्ते रखा क्या है
जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या हैआदमी चाहे तो तकदीर बदल सकता है
पूरी दुनिया की वो तस्वीर बदल सकता है
आदमी सोच तो ले उसका इरादा क्या है
जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है.
सिनेमा में निराशा भरे जीवन में साहस का संचार करने वाले कई गीत लिखे गए, जो दर्शकों और श्रोताओं में जज्बा पैदा करने में सफल भी रहे.
नदिया चले चले रे धारा… तुझको चलना होगा… जिंदगी कैसी है पहेली… जिंदगी आ रहा हूँ मैं… ऐ जिंदगी मुझे गले लगा ले… जिंदगी एक सफर है सुहाना… ऐसी बातों से क्या घबराना… जैसे अनगिनत गीत से जीवन दर्शन पर लिखे गए. इन गीतों के जरिए जीवन के प्रति कोई खास दृष्टिकोण, कोई नसीहत, उपदेश, आदर्श अथवा रीति-नीति बताई गई है.
फिल्म ‘जिंदगी और तूफान’ (1975) के इस गीत में खास बात यह है कि इसमें कवि जीवन के प्रति एक खास किस्म का रवैया जाहिर करता है. बिल्कुल निडर रवैया. मानो वह मौत का रास्ता रोके खड़ा हो. उसे इंटेरोगेट कर रहा हो. उसकी आँखों में आँखें डाल के उससे सवाल कर रहा हो.
‘जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है.’ इतना अघट जो घट गया है, उससे ज्यादा क्या होगा. अनहोनी जितनी होनी थी, हो चुकी. ‘अब उससे ज्यादा कुछ हो भी नहीं सकता’ का भाव लिए नजरिया. जब पानी सर से ऊपर गुजर गया हो, उसके बाद वाला जीवट.
इस गीत में कवि गजब की जिजीविषा व्यक्त करता है. मानो वह जिंदगी को खुली चुनौती दे रहा हो. ‘मेरे दामन में बता मौत से ज्यादा क्या है.’ उसे जरा भी मृत्युभय नहीं है. खौफ नाम की कोई चीज नहीं. बिल्कुल बेखौफ होकर वह काल की सीमा और सामर्थ्य पर सवाल खड़े करता है. समझने की बात है कि, जो इन भावनाओं के साथ जी रहा हो. प्रतिकूल दशाओं से जूझ रहा हो, वह एक सीमा के बाद अनभय हो जाता है. कहते हैं कि, एक स्तर के बाद भय भी खत्म हो जाता है. कवि इस गीत में उससे आगे की स्टेज की बात करता है. उसमें किस स्तर की जिजीविषा होगी. उसे जिंदगी क्या डराएगी.
राम अवतार त्यागी ने सिनेमा के लिए गिनती के गीत लिखे. लेकिन उनका लिखा ‘जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है’ गीत सिनेमा के इस मिजाज के कई-कई गीतों पर भारी पड़ा. उनके इस गीत को खूब शोहरत मिली. मुकेश ने इसे गाया भी पूरी तन्मयता के साथ.
कवि राम अवतार त्यागी के पंद्रह से ज्यादा काव्य संग्रह प्रकाशित हुए. उनकी कुछ कविताएँ एनसीईआरटी के हिंदी पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती थी. उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा के कक्षा आठ के पाठ्यक्रम में उनकी ‘समर्पण’ नामक कविता शामिल थी. कवि सम्मेलनों में त्यागी जी स्वरचित कविताओं को लय-ताल के साथ गाते थे. ‘जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है’ गीत को तो मंचों पर उन्होंने सबसे ज्यादा बार गाया. त्यागी जी ने नवभारत टाइम्स में क्राइम रिपोर्टर से लेकर साप्ताहिक स्तंभ लेखन तक का काम किया. तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा जी ने उन्हें राजीव गांधी और संजय गांधी की हिंदी की स्पीकिंग क्लास के लिए निजी शिक्षक भी नियुक्त किया.
ललित मोहन रयाल
उत्तराखण्ड सरकार की प्रशासनिक सेवा में कार्यरत ललित मोहन रयाल का लेखन अपनी चुटीली भाषा और पैनी निगाह के लिए जाना जाता है. 2018 में प्रकाशित उनकी पुस्तक ‘खड़कमाफी की स्मृतियों से’ को आलोचकों और पाठकों की खासी सराहना मिली. उनकी दूसरी पुस्तक ‘अथ श्री प्रयाग कथा’ 2019 में छप कर आई है. यह उनके इलाहाबाद के दिनों के संस्मरणों का संग्रह है. उनकी एक अन्य पुस्तक शीघ्र प्रकाश्य हैं. काफल ट्री के नियमित सहयोगी.
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अब जबकि अधिकांश माहौल ही बाज़ारू हुआ जा रहा हो- ये गीत और उसकी ऐसी व्याख्या सुनने-पढ़ने नितांत ज़रूरत है--
---जिजीविषा ज़िंदाबाद