4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 41 (Column by Gayatree arya 41)
पिछली किस्त का लिंक: बिना आवाज किये देर तक सिर्फ बच्चे ही हंस सकते हैं
सच तो ये है बेटू कि तुम्हें लिखने के लिए मेरे पास समय ही नहीं बचता. तुम्हारे सारे काम, खाना, कपड़ा, बर्तन, सफाई, नहाना-धोना, अखबार, थोड़ी सी पी.एच.डी की पढ़ाई. तुमसे बचे हुए समय में मैं ये सारे काम ही बड़ी मुश्किल से कर पाती हूं मेरी मेरे बच्चे! तुम कितने प्यारे हो मैं तुम्हें बता ही नहीं सकती. तुम्हारे पास बैठकर तुम्हारी हरकतों से आंख और दिमाग हटाकर किताबों में लगाना कितना मुश्किल और उलझन भरा है तुम क्या जानो? बल्कि तुम्हें देखने के बाद तुमसे मन हटाना असंभव ही है. मुझे शब्द ही नहीं मिल रहे तुम्हारे बारे में तुम्हें लिखने के लिए. पूरा दिन बैठकर भी तुम्हारे बारे में लिखा जाए तो वो कम होगा. असल में तो तुम्हारे चारों तरफ डिस्कवरी चैनल की तरह पूरे समय के लिए कई कैमरों को ऑन करके छोड़ देना चाहिए, ताकि तुम्हारी तमाम छोटी से छोटी, प्यारी सी सारी हरकतें भी उसमें हमेशा के लिए कैद हो जाएं.
मुझे तुम्हारे तेजी से बड़े होने की बिल्कुल भी जल्दी नहीं है मेरे बेटू, पर फिर भी तुम लगभग साढ़े पांच महीने के हो ही चुके हो. कुछ दिनों बाद तुम आधे साल के हो जाओगे. बाप रे! अब तुम खुद से उल्टा होना भी सीख गए हो. 15 फरवरी को दोपहर के समय तुम उल्टे हुए और तुमने पहली बार पल्टी मारी और फिर तुम दूसरी तरफ उलटकर फिर से सीधे हो गए. आह, मुझे कितनी खुशी हुई थी ये देखकर. शायद तुम्हें भी बहुत मजा आया होगा. तुम अपने में मगन थे अपनी मुठ्ठी चूसते हुए.
एक महीने से कुछ ज्यादा हो गया, जबसे तुमने अपना नीचे वाला होंठ चूसना शुरू किया है. जिस वक्त तुम मगन होकर होंठ चूसना शुरू करते हो, उस समय तुम्हारी बाकी सारी हरकतों पर कर्फ्यू सा लग जाता है. होंठ मुंह में दबाए-दबाए ही तुम इधर-उधर देख लेते हो और होंठ मुंह में दबाए-दबाए ही तुम मुझे बड़ी सी स्माइल भी दे देते हो. कभी-कभी तो तुम इतना जल्दी-जल्दी अपना होंठ चूसते हो, जैसे कि तुम्हें बताया गया हो कि इतनी मिनट में इतनी बार होंठ चूस लेना है और तुम पूरी लगन से अपना टारगेट पूरा करने में लगे हो.
कभी-कभी तो तुम होंठ चूसते हुए सो भी जाते हो, उस वक्त तुम्हारा अपना होंठ ही तुम्हारे लिए दूध भरे निप्पल का काम करता है. कभी-कभी जब तुम नींद से जगते हो तो तुरंत होंठ अंदर दबाते हो और मुंह में निप्पल का सा अहसास लिए फिर से सो जाते हो. है न ये बात मजेदार? बस मुझे ये चिंता है कि यदि तुम्हारी ये आदत जल्दी ही न छूटी, तो तुम्हारे नीचे वाले होंठ और जबड़े का क्या होगा?
तुम्हारी शक्ल बिल्कुल बदल गई है रंग, अब तुम न मेरे जैसे दिखते हो न ही अपने पापा जैसे. तुम्हारी खुद की शक्ल बन गई है. बेहद सुंदर और क्यूट हो गए हो तुम. आंखें हालांकि मेरे ऊपर हैं और होंठ अपने बाबाजी पर, लेकिन कुल मिलाकर शक्ल तुम्हारी अपनी ही है.
16 फरवरी की रात को तुम्हें पहली बार जुकाम हुआ. जुकाम दुनिया की सबसे बकवास बीमारी है बेटू. बीमारी जैसा लगता नहीं, लेकिन हालत बेहद पतली कर देता है ये इंसान की. फिर मिलती हूँ मेरी रूह!
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उत्तर प्रदेश के बागपत से ताल्लुक रखने वाली गायत्री आर्य की आधा दर्जन किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. विभिन्न अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं में महिला मुद्दों पर लगातार लिखने वाली गायत्री साहित्य कला परिषद, दिल्ली द्वारा मोहन राकेश सम्मान से सम्मानित एवं हिंदी अकादमी, दिल्ली से कविता व कहानियों के लिए पुरस्कृत हैं.
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