Featured

इंतज़ार : लघु क्षोभ कथा

अंतर देस इ
(… शेष कुशल है !)

– अरे- अरे देख के ड्राइवर साहब ऊपर पहुँचाओगे क्या…’ लगभग लड़ ही गई थी गाड़ी सामने से आ रही गन्ने से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली से. ‘ये सब उपनल के भर्ती…’ साहब ने मन ही मन कहा ‘ज़िंदगी भर तो बड़ी गाड़ियां खींची हैं अब रिटायरमेंट के बाद यहां आकर…’

ड्राइवर गम्भीर सिंह नेगी एक साल पहले ही रिटायर होकर आया था और एक्स आर्मी मैन के रूप में लग गया था. अटकते हुए बोला
– ‘ओह्ह अरे सा’ब वो ज़रा…’

– क्या बात? हैं? पहले तो ऐसे नहीं… अभी तो एक्सीडेंट करवा देते’ साहब ने सीट पर पीठ टिकाते हुए कहा

– ‘साहब ज़रा ध्यान भटक गया था’ नेगी ने बिना सड़क से नज़रें हटाए कहा

– ‘क्यों भटका रहे हो ध्यान क्या हो गया’

– ‘साब वो मैडम की तबियत ज़रा खराब… वो खाना ही नहीं खा रही… असल में बेटे का परसों रात के बाद फ़ोन नहीं आया तो’

– ‘ओ अच्छा… बेटा भी आर्मी में है न, कहां पोस्टेड है आजकल’ साहब ने अपना मोबाइल निकाल लिया था

– ‘आजकल उधर बारामुला’

– ‘अरे अच्छा इस वजह से… हां वहां उधर आजकल… तो क्या ख़बर दे रहे हैं आपके साहबजादे’ साहब ने मोबाइल की स्क्रीन साफ करते हुए पूछा

– ‘क्या बताएगा साब… ठीक ही होगा अगले महीने आने को है’

– ‘बढ़िया है, आपका तो पेंसन से पहले लड़का भी सेट हो गया वो भी आर्मी में बढ़िया… शादी-वादी हो गई उसकी’ साहब ने खिड़की से बाहर देखते हुए पूछा

– ‘हां सा’ब. डेढ़ साल हुए कर दी… अभी पोते का नामकरण रक्खा है उसी में आना है उसे…’ नेगी के चेहरे पर चमक आ गई थोड़ी देर को

– ‘वाह बढ़िया भई… तो एक और आर्मी वाला आ गया… हा हा हा, करो भई बढ़िया धूम धाम’

बहुत देर तक चुप रह गया था गंभीर सिंह नेगी फिर दो बार लंबी सांस ली. खंखारा. गले में कुछ अटक गया था शायद फिर खुद से ही बोला
– ‘बस वापस आ जाए ठीक-ठाक…’

साहब को गाड़ी में हल्का कम्पन महसूस हुआ. हाथ तो स्टेयरिंग पर कसे थे उसके अब भी पर शायद सांस में हल्की सिहरन थी.

वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री

 

अमित श्रीवास्तव

उत्तराखण्ड के पुलिस महकमे में काम करने वाले वाले अमित श्रीवास्तव फिलहाल हल्द्वानी में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात हैं. 6 जुलाई 1978 को जौनपुर में जन्मे अमित के गद्य की शैली की रवानगी बेहद आधुनिक और प्रयोगधर्मी है. उनकी दो किताबें प्रकाशित हैं – बाहर मैं … मैं अन्दर (कविता).

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

2 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

2 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

2 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

2 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

3 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

3 weeks ago