चम्पावत के सूखीढांग इंटर कॉलेज में सवर्ण छात्रों द्वारा दलित भोजन माता के हाथों बना मिड डे मील के बहिष्कार के बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित तो हुआ ही इस मसले पर नए मोड़ सामने आ रहे हैं. (Champawat Dalit Bhojan Mata)
24 तारीख को विद्यालय के दलित छात्रों ने भी सवर्ण भोजन माता के हाथों बने भोजन का यह कह कर बहिष्कार किया कि जब अनुसूचित जाति की भोजन माता के हाथों बने भोजन से सवर्णों को नफरत है तो वे भी सवर्ण भोजन माता के हाथों बना भोजन ग्रहण नहीं करेंगे. प्रधानाचार्य ने पत्र लिखकर खण्ड शिक्षा अधिकारी को माले से अवगत करा दिया है.
चम्पावत में सामान्य वर्ग के छात्रों का दलित भोजन माता के हाथों बना मिड डे मील खाने से इनकार
इस मामले में राजनीतिक सरगर्मियां भी बढ़ गयी हैं. जहां एक ओर मुख्यमंत्री धामी ने उच्च अधिकारियों को मामले की जांच के आदेश दिए वहीं दिल्ली सरकार ने बहिष्कार का शिकार बनने के बाद बर्खास्त कर दी गयी भोजन माता सुनीता देवी को सरकारी नौकरी देने का प्रस्ताव दिया है. दिल्ली के समाज कल्याण, महिला व बाल विकास मंत्री राजेन्द्र गौतम ने सुनीता देवी को नौकरी दिए जाने की घोषणा की है.
चपावत के सूखीढांग इंटर कॉलेज में कुल 230 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. इनमें से 66 मिड डे मील के दायरे में आते हैं, जिसमें से 16 दलित व शेष स्वर्ण हैं. विद्यालय में भोजन माता के 2 पद हैं. शकुन्तला देवी भोजन माता और विमलेश उप्रेती यहां भोजन माता के पद पर कार्यरत थीं. हाल ही में शकुन्तला देवी सेवानिवृत्त हुईं.
28 अक्टूबर को विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने नयी भोजन माता की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी. प्रधानाचार्य को इस पद के लिए 6 आवेदन मिले जिनमें एक अनुसूचित जाति का था. विद्यालय प्रबंधन समिति व शिक्षक अभिभावक संघ के कुछ सदस्यों ने पुष्पा भट्ट को भोजन माता चुने जाने को सही माना. क्योंकि पुष्पा भट्ट एपीएल श्रेणी की थीं अतः विद्यालय प्रबंधन कमिटी के सचिव की हैसियत से प्रधानाचार्य ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किये.
12 नवम्बर को भोजन माता के रिक्त पद के लिए पुनः विज्ञप्ति जारी की गयी. अब प्राप्त 11 आवेदनों में से एक निरस्त कर दिया गया और बचे 10 आवेदनों में से 5 अनुसूचित जाति तथा 5 सामान्य वर्ग से थे. स्कुल द्वारा अन आवेदनों कि जांच कर नियुक्ति के लिए रसायन विज्ञान के प्रवक्ता चंद्रमोहन मिश्रा की अध्यक्षता में 4 शिक्षकों की समिति बनायीं. कमिटी ने बीपीएल श्रेणी की सुनीता देवी को उपयुक्त पाकर उनके नाम की संस्तुति दे दी.
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25 नवम्बर को इस सम्बन्ध में चर्चा के लिए आयोजित बैठक में शिक्षक अभिभावक संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र जोशी, विद्यालय प्रबंधन कमिटी अध्यक्ष रामस्वरूप राम, बीडीसी मेंबर दीपा जोशी, जुल के ग्राम प्रधान दीपक कुमार और सियाला के प्रधान जगदीश कुमार मौजूद रहे. प्रधानाचार्य की गैरमौजूदगी में प्रभारी प्रधानाचार्य चन्द्रमोहन मिश्रा इस बैठक में शामिल थे. इस बैठक में सवर्णों ने पुनः पुष्पा भट्ट के नाम का प्रस्ताव रखा और दलित प्रतिनिधि सुनीता देवी के पक्ष में रहे. वाद-विवाद के बाद दलित प्रतिनिधि बैठक छोड़कर चले गए. सवर्ण गुट ने पुष्पा भट्ट का प्रस्ताव पास कर दिया. चन्द्रमोहन मिश्र ने इस प्रस्ताव पर दस्तख़त करने से मना कर दिया.
प्रधानाचार्य प्रेम सिंह द्वारा सर्वसम्मति बनाने की गरज से एक और बैठक 4 दिसंबर को पुनः बुलायी. सवर्ण प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल नहीं हुए. इसी बैठक में दलित वर्ग की सुनीता देवी के नाम पर पुनः मुहर लगायी गयी.
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प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने सुनीता देवी को 13 दिसम्बर से काम पर आने को कहा और स्पष्ट किया कि नियमानुसार खंड शिक्षा अधिकारी की संस्तुति मिलने पर ही वे औपचारिक नौकरी पर मानी जाएँगी.
सुनीता देवी के भोजन माता के रूप में काम करने के पहले दिन ही राज्य की नसों में पैठा जातिवादी मवाद बहने लगा. 13 दिसंबर को पहले ही दिन 7 बच्चों ने सुनीता देवी के हाथों बना भोजन खाने से मना कर दिया. धीरे-धीरे दलित भोजन माता के हाथों बने भोजन का बहिष्कार करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ने लगी. सुनीता देवी की नौकरी के आठवें और आख़िरी दिन उनके हाथों बना भोजन सिर्फ 16 बच्चों ने खाया और ये सभी अनुसूचित जाति के थी. जिन सवर्ण बच्चों ने भोजन का बहिष्कार किया उन्होंने बताया कि परिजनों ने उन्हें मिड डे मील का बहिष्कार करने को कहा. बच्चों को कहा गया कि घर में सब पूजा-पाठ वाले हैं तो वे दलित के हाथों बना भोजन न खाएं.
मामले के मीडिया में उछालने के बाद मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित ने मामले पर जांच बैठाते हुए खंड शिक्षा अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंप दिया. पुलिस विभाग ने भी चल्थी के चौकी इंचार्ज देवेन्द्र सिंह बिष्ट की अगवाई में जांच शुरू कर दी, हालांकि कोई रपट दर्ज नहीं की है. जांच शुरू होते ही सुनीता देवी की मौखिक नियुक्ति को रद्द कर दिया गया और सहायक भोजन माता उप्रेती मध्याहन भोजन बनाने लगीं.
मामले ने नया मोड़ तब ले लिया जब सुनीता देवी ने जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल व उत्पीड़न को लेकर पुलिस में अपनी शिकायत दर्ज की. उन्होंने हर मोर्चे पर इस लड़ाई को लड़ने की बात भी कही.
प्रकरण तब और ज्यादा देशव्यापी चर्चा का कारण बन गया जब दलित छात्र-छात्राओं ने सवर्ण भोजन माता के हाथों बने भोजन का बहिष्कार कर दिया. यह देश में अपनी तरह का पहला मामला बन गया.
समूचे प्रकरण ने उत्तराखण्ड की सतह के भीतर छिपे बैठे जातिवादी चेहरे को उघाड़कर रख दिया. अब शासन-प्रशासन तेजी से मामले के हल करने में जुट गया है.
वर्तमान में सुलह के लिये एसडीम द्वारा एक बैठक बुलाई गयी जिसके अनुसार अब सभी बच्चे एक साथ भोजन करेंगे. नियुक्ति के संबंध में सभी पक्ष डीएम के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय जांच समिति के फैसले को मानेंगे और क्षेत्र में सामाजिक सौहार्द को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा.
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इनपुट : बीबीसी और हिन्दुस्तान दैनिक
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