हम कक्षा तीन से गाय पर कक्षा पांच से द काऊ पर निबंध और ऐसे (essay ) लिखते आ रहे हैं. गाय हमारी माता है और काऊ इस ऑवर मदर हमारे खून में घुस चुका है. आज उत्तराखंड विधानसभा ने बच्चों को निबंध... Read more
मेडिकल काॅलेज हल्द्वानी में दिखे रैगिंग के कई रंग
राजकीय मेडिकल काॅलेज हल्द्वानी में इन दिनों हलचल कुछ ज्यादा ही हो रही है. यह हलचल पढ़ाई की नहीं और न ही सांस्कृतिक व अन्य गतिविधियों को लेकर है, बल्कि यह हलचल रैगिंग को लेकर है. एक अनाम छात्र... Read more
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले माह केदारनाथ आ सकते हैं. केदारनाथ का पुनर्निर्माण आखिर चरण में है. माना जा रहा है कि आठ अक्तूबर को केदारधाम में भगवान केदारनाथ के दर्शन करेंगे. इस दौरान नई के... Read more
डिलीवरी फर्श पर, मौत सरकारी संवेदना की हुई
देहरादून में संवेदनहीनता का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे हम अक्सर दूर-दराज गांवों में अक्सर सुना करते हैं. यह मामला राजधानी में होने से सुर्खियों में आ गया है. सरकारी अस्पताल में गर्भवती... Read more
भारत में शिशु मृत्यु दर : पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का आंकड़ा पहली बार 10 लाख से कम
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2017 में 8 लाख 2 हज़ार बच्चों की मौत हुई लेकिन यह आंकड़ा पांच वर्ष में सबसे कम है. शिशु मृत्यु दर के मामले में भारत में उल्लेखनी... Read more
उत्तराखंड विधानसभा ने बुधवार को गाय को राष्ट्रमाता घोषित किए जाने का संकल्प पारित किया गया. यह संकल्प अब भारत सरकार को भेजा जाएगा. प्रदेश की पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने राज्य विधानसभा में यह... Read more
‘अपनी धुन में कबूतरी’ वृत्तचित्र का प्रदर्शन
(जगमोहन रौतेला की रपट) कुमाउनी लोकजीवन के ऋतुरैंण, न्योली, छपेली, धुस्का व चैती आदि विभिन्न विधाओं की लोकप्रिय लोकगायिका रही कबूतरी देवी के जीवन पर आधारित वृत्तचित्र ‘अपनी धुन में कबूतरी’ का... Read more
ठेठ कुमाऊंनी रामलीला का इतिहास
चंदवंशी राजा बालो कल्याण चंद ने जिस अल्मोड़ा शहर को 1563 में बसाया, उसी अल्मोड़ा शहर के स्व. देवी दत्त जोशी (काली कुमाऊं के तहसीलदार) की प्रेरणा से 1860 में पहली कुमाऊंनी रामलीला बद्रेश्वर में... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 14
भैरव मंदिर से आगे कि ओर जहाँ गुरुद्वारा है, उसके पीछे की गली जो कसेरा लाइन से दूसरी ओर मिलती है, पीपलटोला नाम से जानी जाती थी. यहाँ तवायफें रहा करती थीं और मुजरे के शौक़ीन लोग यहाँ जाया करते... Read more
भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) के ताजा अध्ययन में देश के 50 टाइगर रिजर्व में से 38 में बाघों का अस्तित्व 50 या अधिकतम 100 साल ही रहने के आसार हैं. संस्थान में आयोजित 32वीं वार्षिक शोध... Read more