‘कागज के फूल’ के न चलने की वजह से गुरुदत्त को न केवल आर्थिक रूप से बल्कि आत्मिक रूप से भी झटका लगा. उन्होंने ‘बाजी’ से लेकर ‘प्यासा’ तक एक से बढ़कर एक कामयाब फिल्में बनाईं थीं. पर जो फिल्म उन... Read more
सिनेमा एक तरह का त्राटक है
अँधेरे में बैठकर एक जगमगाते स्क्रीन को देखना एक तरह का त्राटक ही है. आप आसपास की सारी दुनिया भूल जाते हैं और समूचा अस्तित्व उन चलती-फिरती तस्वीरों के साथ हिलने-डोलने लगता है, जो सामने है. त्... Read more
आखिरकार 1895 में पेरिस के लुमिये भाइयों द्वारा आविष्कृत सिनेमा का माध्यम मूलत दृश्यों और ध्वनियों के मेल का ऐसा धोखा है जो अँधेरे में दिखाए जाने के बाद हर किसी को अपने सम्मोहन में कैद कर लेत... Read more
होली, पागल और पूजा तीनों 1940 में अब्दुल रशीद कारदार की बनाई तीन फ़िल्में हैं. अब्दुल रशीद कारदार की सिनेमाई भूमिका मूक फिल्मों से अमिताभ के उदय के दौर तक फैली हुई है. सहगल शाहजहाँ राजकपूर सु... Read more
बॉलीवुड के सुरों में लमगड़ा की कारीगरी
बॉलीवुड के रुपहले परदे पर उत्तराखण्ड के कई कलाकारों ने खुद को साबित कर अच्छा नाम कमाया है. सामान्य दर्शक के रूप में परदे के पीछे की दुनिया से हम बेखबर ही रहते हैं. इस करिश्माई सिनेमा को बनान... Read more
हिंदी सिनेमा की पहली फ़सक
मदान थियेटर और इम्पीरियल भारत में पहली बोलती फिल्म से पहले फिल्म निर्माण की सनसे बड़ी दो कम्पनियां थी. बोलती फिल्म बनने के बाद इनके मालिकों के बीच एक नयी प्रतिस्पर्धा शुरू हो गयी. इमपिरयल के... Read more
एक लेखक के बतौर मंटो की कहानियों को अपने नैरेटिव का हिस्सा बनाती इस फ़िल्म का क्राफ्ट इसकी सबसे बड़ी ख़ूबी के रूप में उभरता है, मेरी नज़र में. फ़िल्म के धारदार संवाद हों, नवाजुद्दीन, रसिका दुग्ग... Read more
भारत की पहली बोलती फिल्म
भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा, जिसके निर्माता इंपीरियल मूवी टोन के आर्देशिर ईरानी थे, मुंबई के मैजेस्टिक थिएटर में 14 मार्च 1931 को प्रदर्शित हुई थी. मुस्लिम पृष्ठभूमि पर आधारित आलम आरा ए... Read more
सिनेमा : इश्क़ की कोई उम्र नहीं होती
2007 में इजरायल, अमरीका और फ्रांस के सहयोग से बनी कथा फ़िल्म बैन्ड्स विज़िट संगीत से उपजे प्रेम की एक ऐसी कहानी है जो हर धड़कते हुए दिल में कभी न कभी जरूर उमड़ती है. यह अलग बात है कि प्रेम कहानि... Read more
सिनेमा : रोशनदान से दिखता घर का सपना
इटली में 1901 में पैदा हुए फिल्मकार वित्तोरियो डी सिका यथार्थवादी सिनेमा के उस्ताद हैं. यह कहना अतिश्योक्ति न होगी कि वे फ़िल्मकारों के फिल्मकार हैं. खुद हमारे देश के तीन बड़े फ़िल्मकारों –सत्य... Read more