चुनने की स्वतंत्रता या मजबूरी और अतीत के उलझे धागे
आशीष ठाकुर आशीष मूलतः मध्यप्रदेश के निवासी हैं.फिलहाल पिछले 15 वर्षों से मुंबई में रहते हैं. पहले एडवरटाइजिंग, फिर टेलीविज़न और अब फ्रीलांसिंग करते हुए मीडिया से जुड़े हुए हैं. फिल्मो... Read more
टोबा टेक सिंह : पागलों के बटवारे की कहानी
सआदत हसन मंटो की कहानियां लिखे जाते समय जितनी विवादित हुई उतनी ही चर्चित आज भी हैं. उनकी हर कहानी समाज की कड़ुवी सच्चाई को बेपर्दा करती है. भारत-पाकिस्तान बंटवारे को मंटो ने नजदीक से देखा और... Read more
इस फिल्म के बाद माराडोना ने कहा था निर्देशक ने मुझे सिखाया कि किसे कितनी इज़्ज़त दी जानी चाहिये
सुर्ख़ियों में बने रहना दिएगो मारादोना की फ़ितरत का हिस्सा रहा है. चाहे 1986 के फ़ुटबॉल विश्वकप के क्वार्टर फ़ाइनल में इंग्लैण्ड के खिलाफ़ ‘हैण्ड ऑफ़ गॉड’ वाला गोल हो, चाहे पेले को लेक... Read more
दुःख का रंग भी सुनहरा होता है –द स्ट्रेट स्टोरी
आशीष ठाकुर आशीष मूलतः मध्यप्रदेश के निवासी हैं.फिलहाल पिछले 15 वर्षों से मुंबई में रहते हैं. पहले एडवरटाइजिंग, फिर टेलीविज़न और अब फ्रीलांसिंग करते हुए मीडिया से जुड़े हुए हैं. फिल्मो... Read more
आशीष ठाकुर आशीष मूलतः मध्यप्रदेश के निवासी हैं.फिलहाल पिछले 15 वर्षों से मुंबई में रहते हैं. पहले एडवरटाइजिंग, फिर टेलीविज़न और अब फ्रीलांसिंग करते हुए मीडिया से जुड़े हुए हैं. फिल्मो... Read more
अमूमन कहानियां तीन तरह से कही जाती हैं. पहला तरीका, सत्य घटनाओं का अपनी दृष्टि के मद्देनजर सीधा सच्चा बयान. दूसरा, आद्यांत कपोल कल्पना. तीसरा, सत्य घटनाओं से कुछ हिस्से उठाकर उसे समाजपयोग के... Read more
ऐसे डरपोक सिनेमा संसार में जहां नायक का नाम तक ऐसा रखा जाता हो, जिस पर विवाद की गुंजाइश न हो, जिससे बहुसंख्यक वर्ग ही रिलेट करता हो, इतनी मुखर पॉलिटिकल फिल्म बनाना जो धर्म को जेरे बहस लाती... Read more
भारतीय सिनेमा को बदलता एक मराठी निर्देशक
‘सैराट’ (मुक्त) क्षेत्रीय भाषा में रचा गया भारतीय सिनेमा का महाख्यान है. ‘सैराट’ बोन्साई होती जा रही मानवीय संवेदना की जड़ों को गमलों से उखाड़ कर गीली ज़मीन में रोपने... Read more