कुंदन शाह निर्देशित और एनएफडीसी निर्मित, यह फिल्म भ्रष्टाचार पर सीधी चोट करती है. सिस्टम, बिजनेसमैन और मीडिया के गठजोड़ पर तीखा व्यंग्य होने के बावजूद, यह फिल्म सरकारी मदद से बन सकी. एनएफडीस... Read more
सिनेमा: फिल्म निर्माण में एक सफल प्रयोग की कहानी
आज जब हम इंटरनेट पर जॉन अब्राहम के नाम से खोज शुरू करते हैं तो सबसे पहले 1972 में पैदा हुए केरल के बॉलीवुड़ी अभिनेता जॉन अब्राहम के बारे में जानकारी मिलती है. थोड़ी सी मशक्कत के बाद थोड़े पुरान... Read more
पीहू की कहानियाँ – 6
फ़िल्म की असली डायरेक्टर “पीहू” ही है पिछले कई दिनों से मैं इंटरव्यू दे रहा हूँ.एक सवाल सबसे ज़्यादा पूछा जा रहा है कि आपने एक दो साल की बच्ची को डायरेक्ट कैसे किया ? आज एकदम सही सही बताऊँ ?... Read more
पीहू की कहानियाँ – 5
मैडम अभी सो रही हैं मैडम को पॉटी आ गई है मैडम सुसु करने गई है मैडम का अभी मूड नहीं है मैडम को अभी डॉल से खेलना है मैडम ग़ुस्सा है मैडम रो रही है 33 दिन के शूट के दौरान योगेश जानी को इंतज़ार... Read more
विनोद कापड़ी को जानिये
उत्तराखंड के बेरीनाग इलाके से ताल्लुक रखने वाले विनोद कापड़ी की नई फिल्म ‘पीहू’ इसी महीने रिलीज़ होने वाली है. भारत में रिलीज होने से पहले यह फिल्म वैंकूवर इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, पाम स्प्र... Read more
के.एन.सिंह – पहला सिंह इज़ किंग
आज की पीढ़ी को यकीन नहीं होगा कि खलनायक था. सूट-बूट के ऊपर ओवरकोट, सिर पर हैट और मुंह में दबी सिगरेट से निकलता धुआं. रहस्यमयी कातिलाना मुस्कान. सीन में उसकी एंट्री के अंदाज़ से ही दर्शक समझ जा... Read more
दिलीप कुमार बोले – आशा परी बहुत नाम कमाएगी
गुज़रे दिनों की मशहूर अभिनेत्री आशा पारेख की मां का नाम सलमा था, सलमा इब्राहीम लाखड़ावाला. बच्चूभाई मोतीलाल पारेख से शादी करके वो सुधा हो गयी थी. बहुत हंगामा हुआ था दोनों के परिवार में. लेकिन... Read more
छलिया मेरा नाम
हिंदुस्तान के बंटवारे की पृष्ठभूमि पर कई फ़िल्में बनी हैं. ऐसी ही एक फ़िल्म थी ‘छलिया’ (1960). फ्योदोर दोस्तोवस्की के नॉवेल ‘वाइट नाइट्स’ पर आधारित. पार्टीशन में कई परि... Read more
प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा
सालों पहले की बात है. राज कपूर क्लासिक ‘मेरा नाम जोकर’ की नाकामी के बाद लव स्टोरी ‘बॉबी’ (1973) बना रहे थे. विलेन के लिए छोटी सी जगह थी. उन्हें याद आये प्रेम चोपड़ा. अ... Read more
जॉनी: लोग हमें हमारे जूतों से पहचानते है
जॉनी राजकुमार का भी एक ज़माना था. फुटबाल के साइज़ जितना उनका ईगो था. वो सर्व सुलभ कलाकार नहीं थे. उनको वही साइन करने की हिम्मत करता था, जिसमें बड़े-बड़ों के नखरे सहने का माद्दा हो. और दिल-गुर्दा... Read more